आयुर्वेद

'आयुर्वेद' नाम का अर्थ है, 'जीवन से सम्बन्धित ज्ञान'। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।

आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है

आयुर्वेद 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। यह शब्द संस्कृत के शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है। आयुर्वेद, या आयुर्वेदिक चिकित्सा को कई सदियों पहले ही वेदों और पुराणों में प्रलेखित किया गया था।

आयुर्वेदिक दर्शन के अनुसार हमारा शरीर

आयुर्वेदिक दर्शन के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु) से मिलकर बना है। वात, पित्त और कफ इन पांच तत्वों के संयोजन और क्रमपरिवर्तन हैं जो सभी निर्माण में मौजूद पैटर्न के रूप में प्रकट होते हैं।

पित्त शरीर की चयापचय प्रणाली के रूप में व्यक्त करता है

आग और पानी से बना है। यह पाचन, अवशोषण, आत्मसात, पोषण, चयापचय और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। संतुलन में, पित्त समझ और बुद्धि को बढ़ावा देता है। संतुलन न होने से, पित्त क्रोध, घृणा और ईर्ष्या पैदा करता है।

शरीर का शुद्धिकरण

आयुर्वेद में पंचकर्म में एनीमा, तेल मालिश, रक्त देना, शुद्धिकरण और अन्य मौखिक प्रशासन के माध्यम से शारीरिक विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने का अभ्यास है। आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले उपयुक्त घरेलू उपचार जीरा, इलायची, सौंफ और अदरक हैं जो शरीर में अपच को ठीक करते है।

आयुर्वेद का इतिहास


आयुर्वेद का इतिहास एक समृद्ध अतीत से भरा हुआ है, समृद्ध है और पुरातनताओं में गहराई से बैठा है। वेदों में आयुर्वेद नामक एक शाखा भी शामिल है जिसका अर्थ है “जीवन का विज्ञान”। इस प्रकार आयुर्वेद की यात्रा सबसे पुरानी और समग्र उपचार पद्धति के रूप में शुरू हुई। आयुर्वेद के इतिहास में कहा गया है कि इस प्राचीन विद्या का इलाज, रोग को रोकने और लंबे जीवन को रोकने के लिए प्राचीन प्राचीनता में डूबा हुआ भारत में एक सार्वभौमिक धर्म की आध्यात्मिक परंपरा का एक हिस्सा था, इससे पहले कि इसे नीचे रखा गया था।


आयुर्वेद की उत्पत्ति

भारत में आयुर्वेद का मूल धर्म, हिंदू धर्म जितना पुराना है। इन पुस्तकों को चार वेदों के रूप में जाना जाता है; ऋग्वेद, साम वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। आयुर्वेद, अथर्ववेद से जुड़ा एक उप खंड था और इसे ऋग्वेद के उपवेद के रूप में माना जाता है और अथर्ववेद के अंतःवेद (आंतरिक भाग) के रूप में माना जाता है। 
आयुर्वेद का इतिहास यह दावा करता है कि इस उप खंड ने बीमारियों, चोटों, असुरक्षा, पवित्रता और स्वास्थ्य और जीवन के सभी रहस्यों, स्वस्थ रहने के तरीकों, ऋग्वेद में बताए गए रोगों से बचाव के तरीके बताए। 

ऋग्वेद त्रिदोषों पर चर्चा करता है – वात, पित्त और कफ और विभिन्न जड़ी बूटियों का उपयोग रोगों को ठीक करने के लिए।

पंचभूत, सृष्टि के पांच तत्व – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, ब्रह्माण्ड जो ब्रह्माण्ड का आधार बनते हैं, वे भी समस्त सृष्टि का आधार हैं.
– यह आयुर्वेद का बहुत ही सार है जिसमें त्रिगुण नामक आयुर्वेदिक ज्ञान के तीन पहलू हैं। 

-सूत्र जिसमें बीमारी, बीमारी के लक्षण और उपचार शामिल हैं।


आयुर्वेद के महापुरूष

आयुर्वेद का इतिहास इस प्राचीन विज्ञान की खगोलीय उत्पत्ति की ओर भी संकेत करता है, जो कभी भारतीय संतों और ऋषियों को सूचित किया गया था। मिथकों से पता चलता है कि धन्वंतरि, जिन्होंने बाद में आयुर्वेद को लिखा था, उन्होंने इसे ऋषियों को पढ़ाया था। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, चिकित्सा का ज्ञान भगवान ब्रह्मा से उत्पन्न हुआ, जिन्होंने इसे राजा दक्ष को सिखाया, जिन्होंने आगे भगवान इंद्र को सिखाया।

यह बेचैनी का समय था जब बीमारी और मौत कहर ढा रही थी और मानव के पास कोई जवाब नहीं था। यह वह समय था जब इस समस्या का हल खोजने के लिए सभी महान संत एकत्रित हुए। इस बैठक के दौरान ऋषि भारद्वाज आगे आए और उन्होंने भगवान इंद्र से आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान को सीखा। फिर उन्होंने ऐतरेय को यह विज्ञान पढ़ाया, जिन्होंने इस ज्ञान को पूरी दुनिया में पहुँचाया। आयुर्वेद का इतिहास बताता है कि बाद में, यह अग्निवेश था, आत्रेय के शिष्यों ने ‘अग्निवेश संहिता’ लिखा था जिसे आज भी आयुर्वेद का सबसे व्यापक रूप माना जाता है।

आयुर्वेद श्रेष्ठ है


WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|

एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |

ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|

सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|

फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?


........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |


एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-

(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|

(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |

(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |

(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|

(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|

(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|

(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है |


जीवन में उपयोगी नियम (आयुर्वेदिक जीवन)



1. जहाँ रहते हो उस स्थान को तथा आस-पास की जगह को साफ रखो।

 

2. हाथ पैर के नाखून बढ़ने पर काटते रहो। नख बढ़े हुए एवं मैल भरे हुए मत रखो।

 

3. अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाना चाहिए। सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है। पुत्रवान को इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। मंगलवार को बाल कटवाना सर्वथा अनुपयुक्त है, मृत्यु का कारण भी हो सकता है। बुधवार धन की प्राप्ति कराने वाला है। गुरूवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है। शुक्रवार लाभ और यश की प्राप्ति कराने वाला है। शनिवार मृत्यु का कारण होता है। रविवार तो सूर्यदेव का दिन है। इस दिन क्षौर कराने से धन,बुद्धि और धर्म की क्षति होती है।

 

4.  सोमवार, बुधवार और शनिवार शरीर में तेल लगाने हेतु उत्तम दिन हैं। यदि तुम्हें ग्रहों के अनिष्टकर प्रभाव से बचना है तो इन्हीं दिनों में तेल लगाना चाहिए।

 

5.  शरीर में तेल लगाते समय पहले नाभि एवं हाथ-पैर की उँगलियों के नखों में भली प्रकार तेल लगा देना चाहिए।

 

6. पैरों को यथासंभव खुला रखो। प्रातःकाल कुछ समय तक हरी घास पर नंगे पैर टहलो। गर्मियों में मोजे आदि से पैरों को मत ढँको।

 

7. ऊँची एड़ी के या तंग पंजों के जूते स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं।

 

8. पाउडर, स्नो आदि त्वचा के स्वाभाविक सौंदर्य को नष्ट करके उसे रूखा एवं कुरूप बना देते हैं।

 

9. बहुत कसे हुए एवं नायलोन आदि कृत्रिम तंतुओं से बने हुए कपड़े एवं चटकीले भड़कीले गहरे रंग से कपड़े तन-मन के स्वास्थ्य के हानिकारक होते हैं। तंग कपड़ों से रोमकूपों को शुद्ध हवा नहीं मिल पाती तथा रक्त-संचरण में भी बाधा पड़ती है। बैल्ट से कमर को ज़्यादा कसने से पेट में गैस बनने लगती है। ढीले-ढाले सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम होते हैं।

 

10.  कहीं से चलकर आने पर तुरंत जल मत पियो, हाथ पैर मत धोओ और न ही स्नान करो। इससे बड़ी हानि होती है। पसीना सूख जाने दो। कम-से-कम 15 मिनट विश्राम कर लो। फिर हाथ-पैर धोकर, कुल्ला करके पानी पीयो। तेज गर्मी में थोड़ा गुड़ या मिश्री खाकर पानी पीयो ताकि लू न लग सके।

 

11.  अश्लील पुस्तक आदि न पढ़कर ज्ञानवर्ध पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।

 

12.  चोरी कभी न करो।

 

13.  किसी की भी वस्तु लें तो उसे सँभाल कर रखो। कार्य पूरा हो फिर तुरन्त ही वापिस दे दो।

 

14.  समय का महत्त्व समझो। व्यर्थ बातें, व्यर्थ काम में समय न गँवाओ। नियमित तथा समय पर काम करो।

 

15.  स्वावलंबी बनो। इससे मनोबल बढ़ता है।

 

16.  हमेशा सच बोलो। किसी की लालच या धमकी में आकर झूठ का आश्रय न लो।

 

17.  अपने से छोटे दुर्बल बालकों को अथवा किसी को भी कभी सताओ मत। हो सके उतनी सबकी मदद करो।

 

18.  अपने मन के गुलाम नहीं परन्तु मन के स्वामी बनो। तुच्छ इच्छाओं की पूर्ति के लिए कभी स्वार्थी न बनो।

 

19.  किसी का तिरस्कार, उपेक्षा, हँसी-मजाक कभी न करो। किसी की निंदा न करो और न सुनो।

20.  किसी भी व्यक्ति, परिस्थिति या मुश्किल से कभी न डरो परन्तु हिम्मत से उसका सामना करो।

 

21.  समाज में बातचीत के अतिरिक्त वस्त्र का बड़ा महत्त्व है। शौकीनी तथा फैशन के वस्त्र, तीव्र सुगंध के तेल या सेंट का उपयोग करने वालों को सदा सजे-धजे फैशन रहने वालों को सज्जन लोग आवारा या लम्पट आदि समझते हैं। अतः तुम्हें अपना रहन सहन, वेश-भूषा सादगी से युक्त रखना चाहिए। वस्त्र स्वच्छ और सादे होने चाहिए। सिनेमा की अभिनेत्रियों तथा अभिनेताओं के चित्र छपे हुए अथवा उनके नाम के वस्त्र को कभी मत पहनो। इससे बुरे संस्कारों से बचोगे।

 

22.  फटे हुए वस्त्र सिल कर भी उपयोग में लाये जा सकते हैं, पर वे स्वच्छ अवश्य होने चाहिए।

 

23.  तुम जैसे लोगों के साथ उठना-बैठना, घूमना-फिरना आदि रखोगे, लोग तुम्हें भी वैसा ही समझेंगे। अतः बुरे लोगों का साथ सदा के लिए छोड़कर अच्छे लोगों के साथ ही रहो। जो लोग बुरे कहे जाते हैं, उनमें तुम्हे दोष न भी दिखें, तो भी उनका साथ मत करो।

 

24.  प्रत्येक काम पूरी सावधानी से करो। किसी भी काम को छोटा समझकर उसकी उपेक्षा न करो। प्रत्येक काम ठीक समय पर करो। आगे के काम को छोड़कर दूसरे काम में सत लगो। नियत समय पर काम करने का स्वभाव हो जाने पर कठिन काम भी सरल बन जाएँगे। पढ़ने में मन लगाओ। केवल परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए नहीं, अपितु ज्ञानवृद्धि के लिए पूरी पढ़ाई करो। उत्तम भारतीय सदग्रंथों का नित्य पाठ करो। जो कुछ पढ़ो, उसे समझने की चेष्टा करो। जो तुमसे श्रेष्ठ है, उनसे पूछने में संकोच मत करो।

 

25.  अंधे, काने-कुबड़े, लूले-लँगड़े आदि को कभी चिढ़ाओ मत, बल्कि उनके साथ और ज़्यादा सहानुभूतिपूर्वक बर्ताव करो।

 

26.  भटके हुए राही को, यदि जानते हो तो, उचित मार्ग बतला देना चाहिए।

 

27.  किसी के नाम आया हुआ पत्र मत पढ़ो।

 

28.  किसी के घर जाओ तो उसकी वस्तुओं को मत छुओ। यदि आवश्यक हो तो पूछकर ही छुओ। काम हो जाने पर उस वस्तु को फिर यथास्थान रख दो।

 

29.  बस में रेल के डिब्बे में,धर्मशाला व मंदिर में तथा सार्वजनिक भवनों में अथवा स्थलों में न तो थूको, न लघुशंका आदि करो और न वहाँ फलों के छिलके या कागज आदि डालो। वहाँ किसी भी प्रकार की गंदगी मत करो। वहाँ के नियमों का पूरा पालन करो।

 

30.  हमेशा सड़क की बायीं ओर से चलो। मार्ग में चलते समय अपने दाहिनी ओर मत थूको, बाईं ओर थूको। मार्ग में खड़े होकर बातें मत करो। बात करना हो तो एक किनारे हो जाएं। एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर मत चलो। सामने से .या पीछे से अपने से बड़े-बुजुर्गों के आने पर बगल हो जाओ। मार्ग में काँटें, काँच के टुकड़े या कंकड़ पड़े हों तो उन्हें हटा दो।

 

31.  दीन-हीन तथा असहायों व ज़रूरतमंदों की जैसी भी सहायता व सेवा कर सकते हो, उसे अवश्य करो, पर दूसरों से तब तक कोई सेवा न लो जब तक तुम सक्षम हो। किसी की उपेक्षा मत करो।

 

32.  किसी भी देश या जाति के झंडे, राष्ट्रगीत, धर्मग्रन्थ तथा महापुरूषों का अपमान कभी मत करो। उनके प्रति आदर रखो। किसी धर्म पर आक्षेप मत करो।

 

33.  कोई अपना परिचित, पड़ोसी, मित्र आदि बीमार हो अथवा किसी मुसीबत में पड़ा हो तो उसके पास कई बार जाना चाहिए और यथाशक्ति उसकी सहायता करनी चाहिए एवं तसल्ली देनी चाहिए।

 

34.  यदि किसी के यहाँ अतिथि बनो तो उस घर के लोगों को तुम्हारे लिए कोई विशेष प्रबन्ध न करना पड़े, ऐसा ध्यान रखो। उनके यहाँ जो भोजनादि मिले, उसे प्रशंसा करके खाओ।

 

35.  पानी व्यर्थ में मत गिराओ। पानी का नल और बिजली की रोशनी अनावश्यक खुला मत रहने दो।

 

36.  चाकू से मेज मत खरोंचो। पेन्सिल या पेन से इधर-उधर दाग मत करो। दीवार पर मत लिखो।

 

37.  पुस्तकें खुली छोड़कर मत जाओ। पुस्तकों पर पैर मत रखो और न उनसे तकिए का काम लो। धर्मग्रन्थों को विशेष आदर करते हुए स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए। उँगली में थूक लगा कर पुस्तकों के पृष्ठ मत पलटो।

 

38.  हाथ-पैर से भूमि कुरेदना, तिनके तोड़ना, बार-बार सिर पर हाथ फेरना, बटन टटोलते रहना, वस्त्र के छोर उमेठते रहना, झूमना, उँगलियाँ चटखाते रहना- ये बुरे स्वभाव के चिह्न हैं। अतः ये सर्वथा त्याज्य हैं।

 

39.  मुख में उँगली, पेन्सिल, चाकू, पिन, सुई, चाबी या वस्त्र का छोर देना, नाक में उँगली डालना, हाथ से या दाँत से तिनके नोचते रहना, दाँत से नख काटना, भौंहों को नोचते रहना- ये गंदी आदते हैं। इन्हें यथाशीघ्र छोड़ देना चाहिए।

 

40.  पीने के पानी या दूध आदि में उँगली मत डुबाओ।

 

41.  अपने से श्रेष्ठ, अपने से नीचे व्यक्तियों की शय्या-आसन पर न बैठो।

 

42.  देवता, वेद, द्विज, साधु, सच्चे महात्मा, गुरू, पतिव्रता, यज्ञकर्त्ता, तपस्वी आदि की निंदा-परिहास न करो और न सुनो।

 

43.  अशुभ वेश न धारण करो और न ही मुख से अमांगलिक वचन बोलो।

 

44.  कोई बात बिना समझे मत बोलो। जब तुम्हें किसी बात की सच्चाई का पूरा पता हो, तभी उसे करो। अपनी बात के पक्के रहो। जिसे जो वचन दो, उसे पूरा करो। किसी से जिस समय मिलने का या जो कुछ काम करने का वादा किया हो वह वादा समय पर पूरा करो। उसमें विलंब मत करो।

 

45.  नियमित रूप से भगवान की प्रार्थना करो। प्रार्थना से जितना मनोबल प्राप्त होता है उतना और किसी उपाय से नहीं होता।

 

46.  सदा संतुष्ट और प्रसन्न रहो। दूसरों की वस्तुओं को देखकर ललचाओ मत।

 

47.  नेत्रों की रक्षा के लिए न बहुत तेज प्रकाश में पढ़ो, न बहुत मंद प्रकाश में। दोनों हानिकारक हैं। इस प्रकार भी नहीं पढ़ना चाहिए कि प्रकाश सीधे पुस्तक के पृष्ठों पर पड़े। लेटकर, झुककर या पुस्तक को नेत्रों के बहुत नज़दीक लाकर नहीं पढ़ना चाहिए। जलनेति से चश्मा नहीं लगता और यदि चश्मा हो तो उतर जाता है।

 

48.  जितना सादा भोजन, सादा रहन-सहन रखोगे, उतने ही स्वस्थ रहोगे। फैशन की वस्तुओं का जितना उपयोग करोगे या जिह्वा के स्वाद में जितना फँसोगे,स्वास्थ्य उतना ही दुर्बल होता जाएगा।


आयुर्वेद और स्वास्थ्य



आहार

भोजन , जल और वायु - आहार के मुख्य अंग हैं . आहार से ही तेज , उत्साह , स्मृति , ओज ( जीव शक्ति ) तथा शरीर - अग्नि की वृद्धि होती है .

गीता में सात्विक आहार के विषय में कहा है , जो सभी मनुष्यों के लिए समान रूप से लाभप्रद है -

रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृदया आहाराः सात्विकाह प्रियाः .

जो भोजन सभी रसतत्वों वाला हो , सुरस व स्वादिष्ट हो , स्निग्ध अर्थात चिकनाई युक्त हो , शरीर को स्थैर्य देने की शक्ति हो , ह्रदय और दिमाग को ताकत देने वाला हो , सुविधापूर्वक पचने वाला हो , और प्रिय हो - ऐसा आहार सात्विक है .

संतुलित पथ्य भोजन ग्रहण करने वाला व्यक्ति ही पूर्ण स्वस्थ रहते हुए अपना जीवन व्यतीत कर सकता है .


भोजन के मुख्य कार्य

भोजन का मुख्या कार्य रस - रक्त आदि धातुओं को बढ़ाकर शरीर का विकास करना , क्षतिपूर्ति करना , ज़रूरी उष्णता और बल बनाए रखना तथा शरीर की जीवनी शक्ति को स्थिर करना है .

आयुर्वेद का सिद्धांत है - ' सामान्य वृद्धिकारणम ' . समान गुण धर्म वाले पदार्थ से वृद्धि होती है .

1 वे पदार्थ जिनमें रस - आक्तादी धातुओं और स्नायौं की वृद्धि तथा शारीरिक क्षतिपूर्ति करने वाले तत्व हों , जैसे दूध , अंडा , मांस और दाल .

2 . वे पदार्थ जो शरीर को आवश्यक उष्णता प्रदान करते हैं जैसे आटा , चावल , चीनी , आलू आदि .

3 . वे पदार्थ जो शरीर को जीवशक्ति - संपन्न बनाकर शक्ति का कोष भी संचित करते हैं . जैसे घी , माखन ओर तेल आदि स्नेह पदार्थ .

4 वे पदार्थ जो भोजन के पाचन - . प्रचूषण में सहायता करते हैं . जैसे - जल , पेय , खनिज पदार्थ , पाचकांश और विटामिनें .


आयुर्वेद के अनुसार नियम



जीवन को जीना मात्र ही मनुष्य का उद्देश्य नहीं है, बल्कि सुखपूर्वक निरोगी जीवन बिताना आवश्यक है। आयुर्वेद के कुछ टिप्स अपनाकर आप सुखपूर्वक निरोगी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। माना जाता है कि नियमपूर्वक इनके सेवन से।

•  प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे ) के मध्य अर्थात सूरज उगने से पूर्व बिस्तर छोड़ दें।

•  सुबह दंतधावन एवं शौचादि से पूर्व ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीयें,इससे मल खुलकर आता है तथा कब्ज की शिकायत नहीं होती है।

•  नाश्ता या भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम करें तथा योग्य आहार का ही सेवन करें तथा  भोजन के साथ -साथ पानी पीने क़ी प्रवृति से बचें।

•  दिनचर्या में जानबूझकर,अनजाने में या असयंमित होकर किये गए आचरण को प्रज्ञापराध की श्रेणी में रखा जाता है,इससे से बचें क्योंकि यह सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोगों का कारण है।

•  आहार स्वयं एक औषधि है,अत:ज्ञानेन्द्रिय को वश में करते हुए ही भोजन सहित अन्य आचरण करना स्वस्थ रहने में मददगार होता है।

•  शुद्ध जल एवं वायु का सेवन आयुर्वेद अनुसार रोगों से मुक्ति का मार्ग है।

•  भोजन में गाय के दूध का सेवन आयुर्वेद में जीवनीय माना गया है तथा यह स्वयं में एक रसायन औषधि है जिसके नित्य सेवन से बुढापा देर से आता है।

•  एक हरड का नित्य सेवन लम्बी आयु देता है,कहा भी गया है क़ी' माँ कभी नाराज हो सकती है परन्तु हरड नहीं।

• साल में एक बार शरीर रूपी मशीन का शोधन पंचकर्म चिकित्सक के निर्देश में अवश्य करवाएं, जिससे लम्बी एवं रोगरहित आयु प्राप्त होती है।

• रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए आंवले  का सेवन नित्य करें।

• आहार में रेशेदार फल सब्जियों के अलावा दालों का सेवन, शरीर में किसी भी प्रकार के क्षय (टूट- फूट ) को ठीक करने में मददगार होता है।

• आहार में स्नेह अर्थात घी का नियंत्रित मात्रा में प्रयोग बढ़ती उम्र में होनेवाले शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है।

•   भोजन में लाल मिर्च का सेवन अम्लपित (हाइपरएसिडीटी) एवं भूख को कम कर कब्ज उत्पन्न कर अर्श (पाइल्स) का कारण बन सकता है ,अत: आयुर्वेद में अपनी अग्नि का ध्यान रखकर ही भोजन लेने का निर्देश है।


आहार और आयुर्वेद



आजकाल हम लोगो पर पोषण व आहार पर सूचना और सुझावों की बमबारी सभी दिशाओं हो रही हैं. अक्सर हम पूरी तस्वीर देखने में असमर्थ होते हैं व पेशकश करतों की विरोधाभासी प्रतीत होती सलाह द्वारा भ्रमित हो जाते हैं. आयुर्वेद के अनुसार आहार व्यक्ति को इस भूलभुलैया के मध्य में से एक रास्ता खोजने में मदद कर सकता हैं. यह अपने प्राचीन ज्ञान पर आधारित एक शुद्ध शाकाहारी भोजन के रुप में प्रस्तुत करता है. आयुर्वेद के अनुसार, अच्छे स्वास्थ्य का आहार एक महत्वपूर्ण नींव है जो रोगों के उपचार में सहयोगी है. दीर्घायु, शक्ति, ऊर्जा, विकास, रंग, और चमक यह सब एक अच्छा पाचन तंत्र और एक अच्छे आहार पर निर्भर करते हैं.


एक आदर्श आहार पर आयुर्वेदिक संकेत:

- यह अच्छा स्वादिष्ट होना चाहिए.

- यह संतुष्ट करने वाला होना चाहिए.

- यह शरीर को मज़बूत करने वाला होना चाहिए.

- यह तत्काल और स्थायी ऊर्जा दोनों देने वाला होना चाहिए.

- यह उचित मात्रा में लिया जाना चाहिए.

- यह जीवन शक्ति और स्मृति को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए.

- यह दीर्घायु को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए.


स्वस्थ भोजन के लिए दिशानिर्देश:

- एक सुखद वातावरण में बैठो व खाओ.

- पिछले भोजन (पांच से छह घंटे) के पच जाने के बाद ही खाएं.

- रात में देर से न खाएं.

- खाना शांति से खाओ और अच्छी तरह चबाना.

- भोजन के साथ एक छोटे पात्र में गुनगुना गर्म पानी या जड़ी बूटी वाली चाय पीना चाहिए.

- शुद्ध मन अपने पाचन तंत्र और भोजन की ऊर्जा को प्रभावित करता है.

- प्रतिदिन नियमित रूप से और एक ही समय में भोजन लेना चाहिए.

- भोजनों के बीच नाश्ता करने से बचें.

- भोजन केवल आधा पेट पूर्ण हो, एक चौथाई को पानी के लिए व एक चौथाई खाएं हुवे और गैसों के विस्तार के लिए खाली छोड़ दें.

- अपने भोजन के साथ फल और फलों के रस से बचें.

- हर समय ठंडा या बर्फ यक्त पेय से बचें.

- दवा के रूप में भोजन का उपयोग करें. मनुष्य वाही होता है जो वह खाता हैं.

- अपने भोजन के लिए सवृदय से धन्यवाद करे.


अतिरिक्त पकाया भोजन विश्क्त हो सकता है

कई शोध मानव शरीर में विषाक्तता पर संपन्न हुवे है. विषाक्तता सभी बीमारियों की जड़ है. रोगों को सभी प्रकार से दूर रखने के लिए डी-टोक्सिन पूरे शरीर के लिए आवश्यक है. डी-टोक्सिफिकैशन का पर्याय है अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ भोजन व नियमित उपवास.

असंतुलित भोजन शरीर रसायन विज्ञान और रक्त कोशीय चयापचय में असंतुलन का कारण बनता है जो कैंसर, गठिया, मधुमेह व दिल का दौरा पड़ने जैसी बीमारियों के मुख्य कारणों में से एक है. इस असंतुलित भोजनों में अधपका, अधिक लवणों से युक्त व प्रिसर्वेटिव से युक्त खाद्य पदार्थों का लगातार सेवन करना भी सहयोगी है.

पारंपरिक सात्विक व समय अनुसार किया गया भोजन ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है.


आहार लेने के आयुर्वेदिक नियम


 दूध के साथ दही लें या नहीं?

दूध और दही दोनों की तासीर अलग होती है। दही एक खमीर वाली चीज है। दोनों को मिक्स करने से बिना खमीर वाला खाना (दूध) खराब हो जाता है। साथ ही, एसिडिटी बढ़ती है और गैस, अपच व उलटी हो सकती है। इसी तरह दूध के साथ अगर संतरे का जूस लेंगे तो भी पेट में खमीर बनेगा। अगर दोनों को खाना ही है तो दोनों के बीच घंटे-डेढ़ घंटे का फर्क होना चाहिए क्योंकि खाना पचने में कम-से-कम इतनी देर तो लगती ही है।


दूध के साथ तला-भुना और नमकीन खाएं या नहीं?

दूध में मिनरल और विटामिंस के अलावा लैक्टोस शुगर और प्रोटीन होते हैं। दूध एक एनिमल प्रोटीन है और उसके साथ ज्यादा मिक्सिंग करेंगे तो रिएक्शन हो सकते हैं। फिर नमक मिलने से मिल्क प्रोटींस जम जाते हैं और पोषण कम हो जाता है। अगर लंबे समय तक ऐसा किया जाए तो स्किन की बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक उलटे गुणों और मिजाज के खाने लंबे वक्त तक ज्यादा मात्रा में साथ खाए जाएं तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस ऐसा नहीं मानती।


सोने से पहले दूध पीना चाहिए या नहीं?

आयुर्वेद के मुताबिक नींद शरीर के कफ दोष से प्रभावित होती है। दूध अपने भारीपन, मिठास और ठंडे मिजाज के कारण कफ प्रवृत्ति को बढ़ाकर नींद लाने में सहायक होता है। मॉडर्न साइंस में भी माना जाता है कि दूध नींद लाने में मददगार होता है। इससे सेरोटोनिन हॉर्मोन भी निकलता है, जो दिमाग को शांत करने में मदद करता है। वैसे, दूध अपने आप में पूरा आहार है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम होते हैं। इसे अकेले पीना ही बेहतर है। साथ में बिस्किट, रस्क, बादाम या ब्रेड ले सकते हैं, लेकिन भारी खाना खाने से दूध के गुण शरीर में समा नहीं पाते।

दूध में पत्ती या अदरक आदि मिलाने से सिर्फ स्वाद बढ़ता है, उसका मिजाज नहीं बदलता। वैसे, टोंड दूध को उबालकर पीना, खीर बनाकर या दलिया में मिलाकर लेना और भी फायदेमंद है। बहुत ठंडे या गर्म दूध की बजाय गुनगुना या कमरे के तापमान के बराबर दूध पीना बेहतर है।

नोट : अक्सर लोग मानते हैं कि सर्जरी या टांके आदि के बाद दूध नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे पस पड़ सकती है, यह गलतफहमी है। दूध में मौजूद प्रोटीन शरीर की टूट-फूट को जल्दी भरने में मदद करते हैं। दूध दिन भर में कभी भी ले सकते हैं। सोने से कम-से-कम एक घंटे पहले लें। दूध और डिनर में भी एक घंटे का अंतर रखें।


खाने के साथ छाछ लें या नहीं?

छाछ बेहतरीन ड्रिंक या अडिशनल डाइट है। खाने के साथ इसे लेने से खाने का पाचन भी अच्छा होता है और शरीर को पोषण भी ज्यादा मिलता है। यह खुद भी आसानी से पच जाती है। इसमें अगर एक चुटकी काली मिर्च, जीरा और सेंधा नमक मिला लिया जाए तो और अच्छा है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। मीठी लस्सी पीने से फालतू कैलरी मिलती हैं, इसलिए उससे बचना चाहिए। छाछ खाने के साथ लेना या बाद में लेना बेहतर है। पहले लेने से जूस डाइल्यूट हो जाएंगे।


दही और फल एक साथ लें या नहीं?

फलों में अलग एंजाइम होते हैं और दही में अलग। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती। फ्रूट रायता कभी-कभार ले सकते हैं, लेकिन बार-बार इसे खाने से बचना चाहिए।


दूध के साथ फल खाने चाहिए या नहीं?

दूध के साथ फल लेते हैं तो दूध के अंदर का कैल्शियम फलों के कई एंजाइम्स को एड्जॉर्ब (खुद में समेट लेता है और उनका पोषण शरीर को नहीं मिल पाता) कर लेता है। संतरा और अनन्नास जैसे खट्टे फल तो दूध के साथ बिल्कुल नहीं लेने चाहिए। व्रत वगैरह में बहुत से लोग केला और दूध साथ लेते हैं, जोकि सही नहीं है। केला कफ बढ़ाता है और दूध भी कफ बढ़ाता है। दोनों को साथ खाने से कफ बढ़ता है और पाचन पर भी असर पड़ता है। इसी तरह चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक के रूप में खाने के साथ अगर बहुत सारा कैफीन लिया जाए तो भी शरीर को पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते।


मछली के साथ दूध पिएं या नहीं?

दही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए। इससे गैस, एलर्जी और स्किन की बीमारी हो सकती है। दही के अलावा शहद को भी गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।


फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, खासकर तरबूज खाने के बाद?

फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, हालांकि दूसरे तरल पदार्थों से बचना चाहिए। असल में फलों में काफी फाइबर होता है और कैलरी काफी कम होती है। अगर ज्यादा फाइबर के साथ अच्छा मॉइश्चर यानी पानी भी मिल जाए तो शरीर में सफाई अच्छी तरह हो जाती है। लेकिन तरबूज या खरबूज के मामले में यह थ्योरी सही नहीं बैठती क्योंकि ये काफी फाइबर वाले फल हैं। तरबूज को अकेले और खाली पेट खाना ही बेहतर है। इसमें पानी काफी ज्यादा होता है, जो पाचन रसों को डाइल्यूट कर देता है। अगर कोई और चीज इसके साथ या फौरन बाद/पहले खाई जाए तो उसे पचाना मुश्किल होता है। इसी तरह, तरबूज के साथ पानी पीने से लूज-मोशन हो सकते हैं। वैसे तरबूज अपने आप में काफी अच्छा फल है। यह वजन घटाने के इच्छुक लोगों के अलावा शुगर और दिल के मरीजों के लिए भी अच्छा है।


खाने के साथ फल नहीं खाने चाहिए।

कार्बोहाइड्रेट और प्रोटींस के पाचन का मिकैनिज्म अलग होता है। कार्बोहाइड्रेट को पचानेवाला स्लाइवा एंजाइम एल्कलाइन मीडियम में काम करता है, जबकि नीबू, संतरा, अनन्नास आदि खट्टे फल एसिडिक होते हैं। दोनों को साथ खाया जाए तो कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च की पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे कब्ज, डायरिया या अपच हो सकती है। वैसे भी फलों के पाचन में सिर्फ दो घंटे लगते हैं, जबकि खाने को पचने में चार-पांच घंटे लगते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस की राय कुछ और है। उसके मुताबिक, फ्रूट बाहर एसिडिक होते हैं लेकिन पेट में जाते ही एल्कलाइन हो जाते हैं। वैसे भी शरीर में जाकर सभी चीजें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन आदि में बदल जाती हैं, इसलिए मॉडर्न मेडिकल साइंस तरह-तरह के फलों को मिलाकर खाने की सलाह देता है।


मीठे फल और खट्टे फल एक साथ न खाएं

आयुर्वेद के मुताबिक, संतरा और केला एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खट्टे फल मीठे फलों से निकलनेवाली शुगर में रुकावट पैदा करते हैं, जिससे पाचन में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, फलों की पौष्टिकता भी कम हो सकती है। मॉडर्न मेडिकल साइंस इससे इत्तफाक नहीं रखती।


खाने के साथ पानी पिएं या नहीं?

पानी बेहतरीन पेय है, लेकिन खाने के साथ पानी पीने से बचना चाहिए। खाना लंबे समय तक पेट में रहेगा तो शरीर को पोषण ज्यादा मिलेगा। अगर पानी ज्यादा लेंगे तो खाना फौरन नीचे चला जाएगा। अगर पीना ही है तो थोड़ा पिएं और गुनगुना या नॉर्मल पानी पिएं। बहुत ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। पानी में अजवाइन या जीरा डालकर उबाल लें। यह खाना पचाने में मदद करता है। खाने से आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद गिलास भर पानी पीना अच्छा है।


लहसुन या प्याज खाने चाहिए या नहीं?

लहसुन और प्याज को रोजाना के खाने में शामिल किया जाना चाहिए। लहसुन फैट कम करता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) घटाकर गुड कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ाता है। इसमें एंटी-बॉडीज और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं। प्याज से भूख बढ़ती है और यह खून की नलियों के आसपास फैट जमा होने से रोकता है। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम और सांस संबंधी एलर्जी का मुकाबला अच्छे से किया जा सकता है। लहसुन और प्याज कच्चा या भूनकर, दोनों तरह से खा सकते हैं। लेकिन लहसुन कच्चा खाना बेहतर है। कच्चे लहसुन को निगलें नहीं, चबाकर खाएं क्योंकि कच्चा लहसुन कई बार पच नहीं पाता। साथ ही, उसमें कई ऐसे तेल होते हैं, जो चबाने पर ही निकलते हैं और उनका फायदा शरीर को मिलता है।


परांठे के साथ दही खाएं या नहीं?

आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनजीर् शरीर को नहीं मिल पाती। दही खाना ही है तो उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक या आंवला पाउडर मिला लें। हालांकि रोटी के साथ दही खाने में कोई परहेज नहीं है। मॉडर्न साइंस कहता है कि दही में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जोकि खाना पचाने में मदद करते हैं इसलिए दही जरूर खाना चाहिए।


फैट और प्रोटीन एक साथ खाएं या नहीं?

घी, मक्खन, तेल आदि फैट्स को पनीर, अंडा, मीट जैसे भारी प्रोटींस के साथ ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि दो तरह के खाने अगर एक साथ खाए जाएं, तो वे एक-दूसरे की पाचन प्रक्रिया में दखल देते हैं। इससे पेट में दर्द या पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।


दूध, ब्रेड और बटर एक साथ लें या नहीं?

दूध को अकेले लेना ही बेहतर है। तब शरीर को इसका फायदा ज्यादा होता है। आयुर्वेद के मुताबिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट की ज्यादा मात्रा एक साथ नहीं लेनी चाहिए क्योंकि तीनों एक-दूसरे के पचने में रुकावट पैदा कर सकते हैं और पेट में भारीपन हो सकता है। मॉडर्न साइंस इसे सही नहीं मानता। उसके मुताबिक यह सबसे अच्छे नाश्तों में से है क्योंकि यह अपनेआप में पूरा है।


आहार लेने का उचित तरीका



१. उष्ण आहार लें - गर्म भोजन से जठराग्नि तेज होती है, भोजन शीघ्र पच जाता है। 

२. स्निग्ध आहार लें- स्निग्ध भोजन शरीर का पोषण, इन्द्रियों को दृढ़ और बलवान बनाता है। 

३. मात्रा पूर्वक आहार लें- पाचन शक्ति के अनुकूल उचित मात्रा में भोजन स्वास्थ्यवर्धक होता है। 

४. पचने पर आहार लें- पहले खाया पचने के बाद भूख लगने पर ही दूसरा भोजन करें। 

५. अविरूद्ध वीर्य वाले आहार लें- परस्पर विरूद्धवीर्य (गुण व शक्ति) का भोजन रोग उत्पन्न करता है। 

६. अनुकूल स्थान में आहार लें- मन के अनुकूल स्थान में मन के प्रिय पदार्थो का सेवन करें। 

७. जल्दी- जल्दी आहार न लें- जल्दी भोजन करने से लालारस ठीक से न मिलने के कारण भोजन के पाचन में विलम्ब होता है। 

८. बहुत धीरे- धीरे आहार न लें- धीरे- धीरे, रूक रूक कर भोजन करने से तृप्ति नहीं होती, आहार ठंडा तथा पाक विषम हो जाता है। 

९. एकाग्रचित्त हो आहार लें- ऐसा करने से भोजन भली भाँति पचता है और अंग लगता है। 

१०. आत्म शक्ति के अनुसार आहार लें- यह आहार मेरे लिए लाभकारी है या हानिकारक है, विचार करके अपनी शक्ति के अनुकूल मात्रा में लिया भोजन हितकारी होता है।


आयुर्वेद के दोहे


 1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।

2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय

तत्काल।।

3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।

4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।

5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ

जाय।।

6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।


7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।

8.रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।

9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।

10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें, पथरी से

आराम।।

11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर

जाय।।

12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।

13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।

14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।

15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।

16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।

17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।

18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह

बदबू जाय।।

19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि

लगाय।।

20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट

जाय।।

21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी

रोग।।

22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का

आराम।।

23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।

24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।

25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से

आराम।।

26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो

प्रात।।

27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई

हकीम।।

28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥

29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥


गुलाबी होंठो के लिए आयुर्वेद (Pink Lips)

चेहरे की सुंदरता में होंठों का विशेष महत्व है खासकर आकर्षक गुलाबी होंठो (Pink Lips) का । कवियों ने भी होंठों को अपनी रचनाओं में प्रमुख स्थान दिया है। किसी ने इन्हें गुलाब की पंखुड़ियां कहा है तो किसी ने मोगरे के फूलों से इनकी तुलना की है। वैसे यह सच भी है कि गुलाबी लाल होंठ चेहरे की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। पर सभी के होंठ प्राकृतिक रूप से सुंदर नहीं होते है , परंतु उनकी उचित देखभाल व सौंदर्य प्रसाधनों के उचित उपयोग से होंठ आकर्षक बन सकते हैं। प्रत्येक स्त्री को अपने होंठों की देखभाल करनी चाहिए। इसलिए इस लेख में हम बताएँगे की कैसे कुछ घरेलू सामग्रियों की मदद से होंठों को कोमल, नाजुक व गुलाबी रंगत में लाया जा सकता है। जिनके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते है |


गुलाब जल (rose water): 

गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़ियों से बनाये आकर्षक गुलाबी होंठ (Pink Lips) / get pink lips with rose petals and Rose water. 

कुछ शहद की बूंदों में एक बूंद गुलाब जल की मिलकर अपने होंठ पर लगाये. दिन में 3-4 बार इसे दोहराए. इससे आपके lips pink के साथ मुलायम भी होंगे.


चुकंदर (Beetroot): 

चुकंदर का जूस निकालकर रात को सोते टाइम अपने काले होंठो पर लगेये और अगले दिन सुबह उसे धों ले. चुकंदर में मौजूद प्राक्रतिक लाल रंग होंठो की लाली लाने में मददगार होता है.


 अनार: 

अनार एक नेचुरल तरीका है गुलाबी होंठ (Gulabi Honth) पाने का, अनार के बीज का रस लेके उसमे थोडा गाजर का रस भी मिला ले. इसे daily दिन में 1 बार लगाये, इससे आपके काले होंठ गुलाबी के साथ सूखापन भी दूर होगा.


 संतरे का छिलका – 

क्या आप संतरा खा कर छिलका फेंक देते हैं? इसे आप होंठों को अतिरिक्त चमक देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।


 जैतून का तेल, अच्छे गुलाबी होंठ पाने के लिए शहद 

जैतून का तेल, अच्छे गुलाबी होंठ पाने के लिए शहद और नींबू के रस के साथ जैतून का तेल का प्रयोग करें। इन तीनों को मिलाकर एक बाम बनाएँ और रोज़ाना इस्तेमाल करें।


हल्दी का स्क्रब – 

हल्दी पाउडर और दूध का पेस्ट बनाकर होंठों को एक साफ ब्रश से साफ करके लगाएँ। 2-3 मिनट बाद फिर से ब्रश से रगड़ें। होठ लाल कैसे करे , होठों को तौलिए से साफ़ करके एक प्राकृतिक बाम लगाएँ।


 नींबू का रस – 

नींबू अपनी प्राकृतिक विरंजन गुणों के लिए जाना जाता है और काले होठों के लिए सबसे अच्छा उपाय है। यह होठों से काले धब्बों को दूर करता हैं। सोने से पहले होठों पर नींबू का रस लगाएँ।


 घर का बना झरबेरी बाम – 

झरबेरी और पेट्रोलियम जेली को मुलायम गुलाबी होंठ पाने के लिए इस्तेमाल करें। 


एलो वेरा जेल 

एलो वेरा जेल लगाने से भी होंठ कोमल रहते है |


बिस्तर पर जाने से पहले रोज़ 

बिस्तर पर जाने से पहले रोज़ एक लिप क्रीम (विटामिन ई वाली) के साथ अपने होंठों की मालिश।


 अपनी मुस्कराहट वाली रेखा 

अपनी मुस्कराहट वाली रेखा को तर्जनी अंगुली से उपर की तरफ हलके से मालिश करें।



सफेद और चमकते दांत

सफेद और चमकते दांत किसी की भी पर्सनेलिटी में निखार ला सकते हैं। बहुत से लोग पीले दांतों के कारण लोगों के सामने हंसने से बचते हैं या मुंह पर हाथ रखकर हंसते हैं। दांत ज्यादातर उम्र के कारण, दांतों की ठीक से सफाई न होने के कारण, बहुत ज्यादा चाय या कॉफी पीने के कारण अथवा तंबाकू और सिगरेट पीने के कारण पीले हो जाते हैं।

कभी कभी किसी बीमारी के कारण भी दांत पीले हो जाते हैं। हालांकि पीले दांतों को सफेद बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। थोड़ी सी मेहनत से आप पीले दांतों को सफेद बना सकते हैं। आइए आपको कुछ घरेलू नुस्खे बताते हैं जो आपके दांतो की सफेदी और चमक को बनाए रखेंगे।


पीले दाँत के कारण (Yellow Teeth Causes)

दांतों में पीलापन आना हमारे गलत रहन-सहन के कारण तो कई बार साफ-सफाई ना रखने के कारण होता है। कुछ अन्य कारण भी हैं  जिनके कारण दांत पीले होते हैं, जैसे: 


पीले दांतों का मुख्य कारण (Causes of Yellow teeth in Hindi)

तंबाकू, गुटका, शराब आदि के ज्यादा सेवन करने से दांत पीले हो सकते हैं। 

कुछ लोगों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ दांतों पर प्लैक की परत चढ़ती जाती है। इससे भी दांत पीले दिखने लगते हैं। 

ज्यादा मात्र में चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से भी दांत पीले होने लगते हैं। 


फ्लोरोसिस : देश के कई शहरों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण दांतों का रंग बदरंग हो जाता है। उनमें ऊपर पीले एवं सफेद चिकत्ते दिखाई पड़ते हैं। 


प्रोबॉयोटिक्‍स रखना: अगर दांतों में ढीलापन महसूस होता है तो प्रोबॉयोटिक्‍स से राहत मिल सकती है। इससे संक्रमण खत्‍म हो जाता है। इसे पाने के लिए आपको दही का सेवन करना चाहिए।


एसिटिक फ्रूट का सेवन का न करें: जिन फलों के सेवन से शरीर में एसिड ज्‍यादा मात्रा में बनता है उनका सेवन न ही करें तो बेहतर होगा। एसिड बनाने वाले फल, दांतों की सेंसिटिविटी में इजाफा कर देते हैं।



इलाज


1. बेकिंग सोडा दांतों को सफेद बनाने का सबसे आसान तरीका है। यह दांतों से प्लाक को खत्म करके दांतों की सफेदी और चमक बनाए रखता है।

कैसे उपयोग करें

- रोज ब्रश करते समय अपने पेस्ट में थोड़ा सा बेकिंग पाउडर डालें और ब्रश करें। दांतों की सफेदी लौट आएगी।

- एक कप पानी में बेकिंग सोडा और हाइड्रोजन पर ऑक्साइड (hydrogen peroxide) मिलाकर माउथ वॉश (mouthwash) की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।


2. संतरे के छिलके से रोज दांतों की सफाई करने से कुछ ही दिनों में पीले दांत चमकने लगेंगे।

कैसे उपयोग करें

- रोज रात को सोते समय संतरे के छिलके को दांतों पर रगड़ें। संतरे के छिलके में विटामिन सी (vitamin c) और कैल्शियम के साथ माइक्रोऑर्गेनिज्म (micro organism) होता है जो दांतों की मजबूती और चमक बनाए रखता है।


3. स्ट्रॉबेरी में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो कि दांतों को सफेद बनाने में सहायक है।

कैसे उपयोग करें

- स्ट्रॉबेरी के कुछ टुकड़ों को पीसकर, इस लेप को दांतों पर लगाकर मसाज करें। इसे दिन में दो बार करने से कुछ ही दिनों में पीले दांत सफेद होने लगते हैं।

- बेकिंग सोडा और स्ट्रॉबेरी के पल्प को मिलाकर भी दांतों पर रगड़ने से दांतों का पीलापन खत्म होता है।


4. नींबू के प्राकृतिक ब्लीचिंग (natural bleach) के गुण दांतों पर भी असर दिखाते हैं। पीले दांतों के लिए नींबू के छिलके को दांतों पर रगड़ा जा सकता है, या नींबू के पानी से गरारे भी किए जा सकते हैं।


कैसे उपयोग करें

- नींबू के साथ नमक मिलाकर दांतों की मसाज करें।

- दो हफ्तों तक रोजाना दो बार करने से दांत चमकने लगेंगे।


5. नमक को पुराने समय से ही दांतो की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह दांतों के खोए मिनरल्स लौटाता है जिससे दांतों का सफेद रंग बना रहता है।

कैसे उपयोग करें

- रोजाना सुबह टूथपेस्ट की तरह नमक को दांतों की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। नमक को चारकोल में मिलाकर भी दांतों की सफाई की जा सकती है जिससे दांत सफेद होते हैं।

- नमक और बेकिंग पाउडर मिलाकर भी मंजन तैयार किया जा सकता है।

मसूड़ों को स्वस्‍थ रखने के लिए नमक के पानी से कुल्ला करना चाहिए। तीन दिन में एक बार नमक के पानी से कुल्ला करें। इससे तुरंत आराम मिलेगा।

नमक और सरसों के तेल से मसाज करना भी फायदेमंद होता है. आप चाहें तो सिर्फ सरसों के तेल से भी दांतों और मसूड़ों की मसाज कर सकते हैं.


6. तुलसी में भी दांतों को सफेद बनाने का गुण होता है। इसके साथ ही तुलसी पायरिया आदि से भी दांतों की रक्षा करती है।

कैसे उपयोग करें

- तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोजाना इस्तेमाल करने वाले टूथपेस्ट में मिलाकर दांतों की सफाई करें।

- तुलसी के पत्तों का पेस्ट बनाकर उसमें सरसों का तेल (mustard oil) मिलाएं। इस पेस्ट से दांतों की सफाई करने पर भी बहुत फायदा होता है।


7. सेब को डाइट में शामिल करने से भी दांतों की सफेदी लौटाई जा सकती है। सेब की क्रंचीनेस दांतों को प्राकृतिक तौर पर स्क्रब करती है। रोजाना एक या दो सेब जरूर खाएं और खूब चबा चबा कर खाएं। इसी तरह गाजर और खीरा भी कच्चा खाने से दांत सफेद तथा मजबूत बनते हैं।

- सेब का सिरका(एप्पल सिडर विनेगर) आपके दांतों का पीलापन हटाकर, आपको सफेद और चमकदार मुस्कान दे सकता है. बस लगभग एक कप पानी में आधा चम्मच सेब का सिरका लें और अपने टूथब्रश की सहायता से दांतों पर इससे तब तक ब्रश करें, जब तक आपके दांत पूरी तरह से साफ न हो जाएं. दांतों के दाग हटने के साथ ही धीरे-धीरे आपके दांतों पर चमक भी आ जाएगी.

- नींबू के रस में नमक और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाएं और अब ब्रश की सहायता से दांतों को इससे ब्रश करें. दांतों में चमक लाने का यह बहुत ही पुराना और कामयाब तरीका है.

- केले के छिलके के अंदर के हिस्से को दांतों पर रगड़ें और बाद में गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें. दांतों का पीलापन कम धीरे-धीरे कम होने लगेगा.

सेब का सिरका इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान:

- सेब का सिरका इस्तेमाल करते समय बॉटल को अच्छी तरह से हिलाएं, तभी इस्तेमाल करें.

- बगैर पानी में घोले इसका इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह प्राकृतिक अम्ल है. यानी यह एसि‍डिक नेचर का है.

- इसका अत्यधि‍क प्रयोग करने से बचें और दिन में एक बार से ज्यादा इसका इस्तेमाल न करें.






ग्लैमरस दिखने के घरेलू नुस्खे

महंगे ब्रैंड्स पर आप हज़ारों रूपये खर्च कर सकते हैं लेकिन क्या‍ कभी आपने आकर्षक त्वचा पाने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाने का प्रयास किया है? । 


# अण्डे हैं कांतिमय त्वचा के लिए : तैलीय त्वचा वालों को चेहरे पर अण्डे का सफेद भाग लगाना चाहिए। शुष्क त्वचा वालों को अण्डे का पीला भाग लगाना चाहिए। त्वचा के रोम छिद्रों को संकुचित करने के लिए अण्डे बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनसे झुर्रियों से भी बचाव हो सकता है।


# क्रीमी मसाज का स्पर्श : खूबसूरत त्वचा पाने के लिए अपनी त्वचा के अनुरूप क्रीम चुनें। दो से तीन बड़े चम्मच से क्रीम लें और उससे चेहरे पर अपवर्ड सर्कुलर मूवमेंट में मसाज़ करें और जादू देखें। इससे ना केवल आपकी त्वचा दमकेगी बल्कि चेहरे की शुष्कि भी खत्म हो जायेगी। 


# फलों से निखारें सौंदर्य :  नीबू का रस, सेब का रस और अनानास के रस दमकती त्वचा के लिए सबसे अच्छे घरेलू नुस्खे हैं। जूस के मिश्रण को चेहरे पर लगाकर 10 से 15 मिनट तक छोड़ दें और फिर चेहरा धो लें। फलों में एस्ट्रिन्जेन्ट और ब्‍लीचिंग के गुण होते हैं जिससे आपकी त्वचा पर प्राकृतिक निखार आयेगा। 


# बेदाग खूबसूरती के राज़ खोलें :  आपके चेहरे की खूबसूरती को अकसर ब्लैकहैड्स चार चांद नहीं लगने देते। लेकिन हमारे पास इसका इलाज है। पिसी हुई काली मिर्च और दही का पेस्ट चेहरे पर लगायें। इसे 10 से 15 मिनट तक छोड़ दें और पानी से त्वचा धो लें और फर्क देखें। 


# आहार और त्वचा का अनोखा सम्बन्ध :  फाइबर की अधिक मात्रा वाले आहार, हरी सब्जि़यां और एण्टींआक्सिडेंट का प्रयोग करें क्योंकि इनसे त्वचा की आवश्यकता पूरी होती है। 

ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार के बाहरी पदार्थ आपकी त्वचा के लिए तबतक लाभकारी नहीं होते जबतक कि आप स्वस्थ आहार नहीं लेते। 


# गुलाबी त्वचा के लिए दूध और टमाटर :  एक साफ टमाटर को पीस लें और इसमें दो बड़े चम्मच दूध के मिला लें। इस मिश्रण को कम से कम 10 मिनट तक चेहरे पर लगायें। चेहरा पानी से धो लें। यह डीप क्लीन्ज़र की तरह काम करेगा और त्वचा को तैलीय होने से बचायेगा।

गोरेपन के लिए आहार

 1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार का सेवन करें।

2. मौसमी फलों का सेवन करना त्वचा के लिए अच्छा हो सकता है।

3. खाने में सलाद का प्रयोग जरूर करना चाहिए।

4. विटामिन ई युक्त आहार त्वचा को जवां बनाते हैं


आजकल के प्रदूषण और भागदौड़ भरे जीवन में त्वचा की कोमलता को बनाए रखने के लिए काफी जतन करना पड़ता है। प्राकृतिक उपचारों और नियमित ढंग से खानपान से त्वचा को कोमल बनाया जा सकता है। खानपान का सीधा प्रभाव हमारी त्वचा पर पड़ता है। पोषक गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारी त्वचा को भी फायदा पहुंचाते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपने भोजन में कुछ भी खा लेने और पेट भरने तक सीमित होते हैं। जिसका परिणाम होता है कि उनकी त्वचा को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है और चेहरे की कोमलता और चमक जाती रहती है। 


1. अनाज का सेवन : त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए अनाज, दालों, ताजे और कच्चे फलों, सब्जियों, हरी पत्तेदार सब्जियों, मांस और मछली को अपने भोजन में शामिल करें। 


2. एंटीऑक्सीडेंट फूड :  झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार जरूरी है, यह फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाते हैं। झुर्रियों से बचने के लिए ब्लैक बेरी, स्ट्रॉबेरी, ब्ल्यू बेरी, क्रैनबेरी और आर्टीचोक का सेवन करें। 


3. तरल पदार्थ लें :  चेहरे के दाग-धब्बों से छुटकारा पाने के लिए पानी से बेहतर कुछ भी नहीं, यह शरीर के विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में मदद करता है। आप हर्बल टी, सूप, फल व सब्जियों का जूस पी सकती हैं, क्योंकि जिनमें 10 प्रतिशत पानी होता है। यह त्वचा पर चमक भी लाता है और कसावट भी। दिनभर में नियमित रूप से कम से कम डेढ़ लीटर पानी अवश्य पीएं। 


4. प्रोटीन भी है जरूरी :   प्रोटीन भी त्वचा के लिए बेहद जरूरी होता है। इसलिए अपने भोजन में नियमित रूप से प्रोटीन लें। अपने भोजन में सफेद मीट, मछली, अंडा, दूध, दही, पनीर, सोयाबीन, और दालों को शामिल करें। इससे आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन प्राप्त होगा। क्योंकि प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ के सेवन से त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में वृद्धि होती है। 


5. विटामिन सी का भी हो साथ :  नींबू, आंवला, संतरा, अंकुरित दाल और हरी मिर्च में विटामिन सी पाया जाता है। इसे अपने आहार का हिस्सा बनाएं। क्योंकि त्वचा के लिए विटामिन सी भी बहुत जरूरी है। विटामिन सी त्वचा के लचीलेपन और कोलोजन को सुधारने में सहायक होता है। 


6. मौसमी फल ही खाएं :  बीजों वाले फल जैसे पपीता, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, आलूबुखारा, जामुन, लीची भी त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। मौसमी फल खाएं यह त्वचा को भरपूर पोषण देंगे। इससे त्वचा कोमल और चमकदार होती है। त्वचा के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स बेहद जरूरी है। यह त्वचा को नष्ट होने से बचाते हैं। इससे न सिर्फ आपकी त्वचा कोमल और खूबसूरत होगी बल्कि आपका स्वास्थ्य और शरीर भी स्वस्थ और अंदरूनी तौर पर मजबूत होगा। 


7. सलाद खाएं :  चमकदार त्वचा के लिए ज्यादा से ज्यादा हरे सलाद को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, इनमें बीटा कैरोटिन, विटमिन सी और विटमिन ई पाए जाते हैं, जो त्वचा को बेहतर बनाने वाले महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। एवोकैडो में विटामिन ई पाया जाता है जो सौन्दर्य बढ़ाने में सहायक होता है।


8. विटामिन ई खाना है फायदेमंद :  विटमिन ई और जिंक रूखी त्वचा को नमी और कांति प्रदान करते हैं, यह सी फूड, एवोकैडो, मेवे व राजमा, फ्लेक्स सीड, सोयाबीन, लोबिया में पाए जाते हैं, ओमेगा-3 फैट्स सिर्फ ऑयली मछली जैसे सालमन में पाए जाते हैं, जो त्वचा की खोई हुई नमी को लौटाता है।

आयुर्वेद से गोरापन पाए

 गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। इसी खूबसूरती को हासिल करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। महंगी से महंगी क्रीम, लोशन आदि सबका उपयोग 

किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि रंगत केवल एक ही रात में नही बदली जा सकती इसमें समय लगता है। अगर आप भी अपनी रंगत को गोरा करना चाहते है तो घर में 

उपलब्‍ध चीजों की सहायता से ऐसा किया जा सकता है।

आइए जानें घरेलू उपायों के बारें में एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।


• आंवले का मुरब्बा रोज खाने से दो-तीन महीने में ही रंग निखरने लगता है।

• गाजर का जूस आधा गिलास खाली पेट सुबह लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

• पेट को हमेशा ठीक रखें, कब्ज न रहने दें।

• अधिक से अधिक पानी पीएं।

• चाय कॉफी का सेवन कम करें।

• रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है। गोरी त्वचा पाने के घरेलू उबटन- इन सब 

उपायों के अलावा आप विभिन्न प्रकार के घरेलू उबटन लगा कर भी अपनी त्वचा की रंगत निखारी जा सकती है।


• हल्दी पैक- त्वचा की रंगत को निखारने के लिए हल्दी एक अच्छा तरीका है। पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग करें। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट लगाएं और ठंडे पानी से धो लें।


• हनी आल्मड स्क्रब-बादाम भी रंगत निखारने का काम करता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसे छील कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाएं और इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाकर स्क्रब करें। 


• चंदन - गोरी रंगत देने के अलावा यह एलर्जी और पिंपल को भी दूर करता है। पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन में अच्छी तरह से लगाकर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें।


• केसर पैक - उबटन बनाने के लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिला लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद इसे धो लें। केसर के इस उबटन से भी कुछ दिन में आपकी त्वचा गोरी होने लगेगी। 


• चिरौंजी का पैक - गोरी रंगत के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी का पाउडर लें इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का रंग निखर जाएगा। 


• मसूर दाल पैक - मसूर की दाल का पाउडर लें इसमें अंडे की जर्दी, नीबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। रोज इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। चेहरे का रंग निखर जाएगा। 


• बेसन का उबटन - बेसन 2 चम्मच, सरसों का तेल 1 चम्मच और थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट बना लें। पूरे शरीर पर इस उबटन को लगा लें। कुछ देर बाद हाथ से रगड कर छुडाएं और स्नान करें। त्वचा गोरी व मुलायम हो जाएगी। 


इन सब घरेलू उपायों को अपना कर आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ, सुंदर, चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती है

सौंदर्यवर्द्घक सब्जियां

 सब्जियां सिर्फ सेहत के लिए ही उपयोगी नहीं होतीं, बल्कि ये आपकी सुंदरता में भी इजाफा कर सकती हैं। यकीन नहीं होता? तो आजमाइए इन असरदार उपायों को। दिन-ब-दिन निखरती त्वचा आपको अहसास दिला देगी कि सब्जियां सौंदर्यवर्द्घक भी होती हैं।


मस्त लाल टमाटर : टमाटर के रस में नीबू का रस मिलाकर लगाने से खुले रोम छिद्रों की समस्या दूर होती है। तैलीय त्वचा होने पर टमाटर को आधा काटकर चेहरे पर रगड़ें। कुछ देर बाद चेहरा धोकर पोंछ लें। ऐसा करने से अतिरिक्त तैलीयता दूर होती है।


भरोसेमंद आलू : आलू की पतली स्लाइसें आंखों पर रखने से थकी आंखों को राहत मिलती है। कच्चे आलू का रस आंखों के डार्क सर्कल्स दूर करता है। आलू उबालने के बाद बचा पानी फेंकिए नहीं, इसमें कुछ देर हाथ डुबोकर रखें, फिर साफ पानी से धोएं। आपके हाथ साफ व मुलायम हो जाएंगे।


रसीला खीरा : खीरा नैचुरल क्लींजर है। ऑइली स्कीन वालों के लिए यह बेदह लाभप्रद है। खीरे के रस में चंदन पावडर मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद धो लें। इसके नियमित प्रयोग से चेहरा झाइयों रहित हो जाएगा। इसके अलावा खीरा (ककड़ी) के रस में गुलाबजल एवं कुछ बूंदें नीबू का रस मिलाकर लगाने से चेहरे का रंग साफ होता है।


महकता पुदीना : महकता पुदीना आपको मुंहासों की समस्या से मुक्ति दिला सकता है। पुदीना पेस्ट में चंदन चूरा एवं मुल्तानी मिट्टी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर धो लें। इसका नियमित इस्तेमाल पिंपल्स दूर करने में सहायक है।


सलाद की शान मूली : मूली आपके मुरझाए चेहरे में नई जान डाल सकती है। मूली के रस में मक्खन मिलाकर नियमित चेहरे पर लगाने से रुखापन एवं झाइयां दूर होती हैं। मूली का रस ब्लैकहेड्स से निजात दिलाता है।


हर्बल स्नान

 ऐश्वर्या राय बच्चन , जो खुद को एक स्वस्थ कायाकल्प के लिए एक भव्य हर्बल स्नान में लिप्त उन मशहूर हस्तियों में से एक है . वहाँ कुछ भी नहीं और अधिक को पुनर्जीवित करने और एक हर्बल स्नान के रूप में पुनः सशक्त .


हालांकि , एक स्पा में एक हर्बल स्नान उच्च कीमत चक्कर माना जाता है और कई लोगों को नहीं एक स्पा में एक हर्बल स्नान के लिए जा सकते हैं . एक ऐसी दुनिया जहां सभी तो पर्यावरण के अनुकूल होते जा रहे हैं हर दिन , एक हर्बल स्नान करने के लिए घरों में जड़ी बूटियों की विविधता लाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है .


जड़ी बूटी के लगभग हर सौंदर्य उत्पाद nowsdays के मूल तत्व हैं , कि आप इस दिशा में एक अंधे आँख बारी नहीं कर सकते . हर्बल स्नान जो एक फ्रेंच लड़की जो हर्बल स्नान concoctions का इस्तेमाल करने के लिए उसकी त्वचा जवान और सुंदर रखने की कहानी बताता है पर एक फ्रांसीसी कथा है .


यह माना जाता है कि निनोन डी Lenclos , लड़की , जवान से 70 वर्ष की उम्र में भी आकर्षित किया गया था . उसे कई सौंदर्य रहस्य के अलावा , हर्बल स्नान भी एक जगह मिल . आप अपने आप को एक स्पा के लिए जा रहा बिना एक हर्बल स्नान का इलाज देकर उसके पैर चरणों का पालन कर सकते हैं .


यहां दिए गए हैं कुछ हर्बल स्नान मिश्रणों कि अपनी जेब में है कि हानिकारक छेद छोड़ने के बिना घर पर बनाया जा सकता है .



हर्बल स्नान व्यंजनों


सूखा या Chapped त्वचा के लिए हर्बल स्नान ब्लेंड


सामग्री :

सूखे गुलाब की पंखुड़ियों -1 कप

सूखे लैवेंडर फूल - आधा कप

जाली 12 -X 24 "

कैसे बनाने के लिए

जाली लो , यह आधे से 12 " चौकोर टुकड़ा बनाने में गुना एक .

कपड़ा अंदर मिश्रण रखें .

बाँध एक साथ समाप्त होता है .

यह एक सॉस पैन ( एल्यूमीनियम एक तांबे या नहीं ) में रखें और उबलते पानी 1 और 1/2 quarts जोड़ने की . सॉस पैन कवर और यह कम से कम एक घंटे के लिए रहते हैं .

जब गर्म चल नहाने के पानी में जलसेक तरल के साथ साथ तैयार पाउच जोड़ते हैं .

एक सोख अच्छा लो , समय - समय पर पाउच फैलाएंगे .

मांसपेशियों में दर्द और कड़ी जोड़ों के लिए हर्बल स्नान


सामग्री :


सूखे नींबू बाम पत्तियां आधा कप

सूखे दौनी के पत्तों आधा कप

सूखे कैमोमाइल फूल ¼ कप

जाली 12 -X 24 "



कैसे बनाने के लिए

कपड़ा ले लो , यह आधे से 12 एक " चौकोर टुकड़ा बनाने में गुना .

बीच में पूरे मिश्रण रखो और यह टाई के आसपास .

एक सॉस पैन में पाउच रखो और उबलते पानी की 1 और साढ़े और कम से कम एक घंटे के लिए खड़ी जोड़ें quarts .

अपने गर्म चल नहाने के पानी के पाउच के साथ जलसेक तरल जोड़ें .

समय पर अपने गर्म हर्बल पाउच फैलाएंगे स्नान कर लो .


सर्दी और भीड़ के लिए हर्बल स्नान


सामग्री :


अजवायन के फूल सूख के पत्तों आधा कप

सूखे बाबा पत्तियां -1 कप

सूखे दौनी पत्ते - ¼ कप

जाली 12 -X 24 "


बनाने के लिए कैसे :


जाली लो और आधे में गुना , यह 12 " एक चौकोर टुकड़ा बना .

कपड़े के केंद्र में मिश्रण डालो और एक साथ टाई समाप्त होता है .

एक सॉस पैन में पाउच प्लेस और उबलते पानी की 1 और 1/2 quarts जोड़ने .

सॉस पैन कवर और एक घंटे के लिए रख .

तैयार एक बार आप जलसेक तरल के साथ अपने गर्म पानी चल रहा पाउच डाल सकते हैं

आप एक पानी में भिगोना करने के लिए अच्छा है , समय पर पाउच फैलाएंगे कर सकते हैं .


साँवली त्वचा की खूबसूरती

 यूँ तो साँवली त्वचा की खूबसूरती पर कवियों ने अपनी कलम खूब चलाई है। बावजूद इसके सांवला रंग युवा वर्ग में परेशानी का सबब बना हुआ है। गोरेपन की क्रीम के झांसे में फंसने के बजाय बेहतर होगा कि अपनी त्वचा को निखरी और सलोनी बनाने के प्रयास किए जाए। 


दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती अत: आपको जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसी को स्वस्थ और आकर्षक बनाने के जतन करने चाहिए। 


सांवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए अपनी मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पाउडर बना लें। एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएं और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का सांवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा। 


नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस पाउडर को हफ्ते में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर लगाएं, त्वचा में आकर्षक चमक आएगी। जाड़े के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है।


सिर में रुसी का इलाज Dandruff Treatment

 नारियल का तेल 100 ग्राम , कपूर 4 ग्राम दोनों को मिलकर शीशी में रख लें। दिन में दो बार स्नान के बाद केश सुख जाने पर और रात में सोने से पहले सर पर खूब मालिश करें । दुसरे दिन से ही लाभ होने लगेगा ।


गंजेपन की समस्या Baldness Problem

कई बार सिर पर चोट लगने, बीमारियां, डायबिटीज, ल्यूकेमिया, क्षय, दाद, एक्जीमा आदि से भी हमारे सिर के बाल धीरे-धीरे झडऩे लगते हैं। बालों का इस तरह झडऩा ही बढ़ते हुए यह गंजेपन का रूप ले लेता है। चिंता, परेशानी, सदमा और दुर्घटना से भी सिर के बाल गिरने लगते हैं। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उपाय ऐसे भी हैं जिन्हें आजमाकर गंजेपन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है साथ ही बालों को मजबूत और सुंदर बनाया जा सकता है। आवश्यक पोषक तत्वों की कमी जैसे आयोडिन, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, आयरन, तांबा, विटामिन ए की कमी से भी हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप सिर के बाल रूखे होने लगते हैं और धीरे-धीरे उनका टूटना और गिरना शुरु हो जाता है। इसलिए ऐसे में अंकुरित गेहूं, चना, मूंग आदि खाना बहुत लाभदायक है। साथ ही भोजन में पनीर, सिंघाड़ा, पालक बथुआ, मटर, टमाटर आदि के साथ ही सलाद भी लेते रहना चाहिए। -


रोजाना तीन माह तक सुबह खाली पेट काला तिल व भृंगराज बराबर मात्रा में मिलाकर चबाकर खाने से बाल लंबे व घने हो जाते हैं और बालों का झडऩा बंद हो जाता है। गंजे वाले स्थान पर अमरबेल का लेप नियमित रूप से एक महीने तक करना लाभदायक होता है। इसके काढ़े से सिर धोले से बाल बढऩे के साथ ही काले भी होने लगते हैं। सिर के बाल झड़ रहे हों तो सरसों के पत्तों को जलाकर बनाया गया लेप नियमित रूप से लगाएं कुछ ही दिनों के बाद फिर बाल उगने लगेंगे। -


कैस्टर ऑयल अर्थात एरण्ड का तेल भी काफी उपयोगी है। रोजाना दो महीने तक रात में इसके तेल से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर हो जाता है। गंजेपन के स्थान पर जमालगोटे के बीजों का लेप नींबू के रस के साथ करें, फिर थोड़ी देर बाद सिर धो लें। कुछ ही दिनों में अच्छा असर दिखने लगेगा। नारियल तेल में धतूरे के रस को मिलाकर पंद्रह दिनों तक रोजाना नहाने से पहले लगाएं, कुछ ही महीनों में फायदा दिखने लगेगा। -


गोमूत्र में इंद्रायण की जड़ को पीसकर नियमित गंजेवाले स्थान पर लगाएं, कुछ ही महीने बाद सिर पर बाल उगने लगेंगे।बबूल की कच्ची पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाएं, फिर सिर धो लें, ऐसा चार-पांच महीने तक करने पर सिर पर बाल उगने लगेगे।


क्रोध Anger

 दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर खाने से गुस्सा शान्त होता है। पन्द्रह दिन लगातार खायें। थाली बर्तन फैंकने वाला और पत्नि और बच्चों को मारने पीटने वाला क्रोधी भी क्रोध से मुक्ति पा सकेगा।

जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क दुर्बल हो गये हो और जिन विद्यार्थियों को पाठ याद नहीं रहता हो तो इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही दुर्बल मस्तिष्क के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता हो, वह भी मिट जाता है।

कहावत है - "एक सेब रोज खाइए, वैद्य डाक्टर से छुटकारा पाइए।"

या आंवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन प्रातः काल खायें और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना बन्द होगा।


तनाव Tension

 तनाव क्या होता है?


तनाव आपके शरीर में उत्पन हुई एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है जब आप अपने आपको किसी संकट से घिरा पाते हैं या आपका मानसिक सुंतलन बिगड़ जाता है।

तनाव से जुड़ी प्रतिक्रिया आपको चुनौतियों का सामना करने में सहायता करती है। पर एक सीमा के बाद, यही तनाव कोई भी सहायता करना बंद कर देता है और आपके स्वास्थ्य, आपके मूड, आपकी उत्पादकता, आपके संबंधों और आपके जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर करता है।

आयुर्वेद में तनाव के कई स्वरुप होते हैं जैसे कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तनाव; और अलग अलग तरह के तनाव में अलग अलग तरह के उपचार की ज़रुरत पडती है। आयुर्वेद के हिसाब से मानसिक तनाव मस्तिष्क का ज़रुरत से ज़्यादा उपयोग, या दुरूपयोग करने से होता है। मसलन अगर आप अधिक समय तक मानसिक कार्य करते हैं या कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपकी मानसिक गतिविधियाँ, ऊर्जा, और दिमाग से जुड़े प्राण-वात तत्वों में असुंतलन पैदा होता है। और प्राण-वात के असुंतलन का पहला लक्षण होता है तनाव को संभालने में असर्मथता। जैसे जैसे तनाव बढ़ता है वैसे वैसे धी, धृति, और स्मृति जैसी मानसिक प्रक्रिया में बदलाव उत्पन होता है, या ग्रहणशीलता, अवरोधन, सकारात्मक सोच, उत्साह और रात की नींद पर भी असर पड़ता है।


तनाव के लक्षण:


संज्ञानात्मक लक्षण

स्मरणशक्ति की समस्या।

एकाग्रता की कमी।

परखने में गलती।

नकारात्मक पहलू देखना।

अनवरत चिंता।

भावनात्मक लक्षण

मूड बदलना।

चिडचिडापन या गुस्सा।

बेचैनी, विश्राम न कर पाना।

पराजित महसूस करना।

अकेलेपन और अलगाव का एहसास।

डिप्रेशन या नाराजगी।

शारीरिक लक्षण

दर्द और पीड़ा।

दस्त या कब्ज़ियत।

मतली या चक्कर।

यौन रूचि में कमी।

बार बार सर्दी ज़ुकाम का होना।

अपचन और गड़गड़ाहट।

हृदयगति में तेज़ी।

स्वाभाव से जुड़े लक्षण

कम या ज़्यादा खाना या सोना।

अपने आपको दूसरों से अलग थलग रखना।

कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से बचना।

विश्राम के लिए मदिरापान, धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन करना।


तनाव के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक चिकित्सा:


अपने आहार में गर्म दूध के साथ पांच बादामों का समावेश करें । आप दिन में 2 या 3 बार दूध या शहद के साथ 1 ग्राम काली मिर्च का सेवन भी कर सकते हैं।

अपने माथे पर नीम का पाउडर लगाने से भी आपको लाभ मिल सकता है।

दूध या पानी के साथ सूखी अदरक का लेप बना लें और अपने माथे पर लगायें।

एक छोटे तौलिये को ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें और कुछ समय के लिए अपने माथे पर रखें।

क्षीरबाला तेल, धन्वन्तरी तेल या नारियल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करवाने से भी तनाव कम होने में लाभ मिलता है।

सोने से पहले दूध में गुलकंद मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।

दोपहर में खाने के साथ मीठे लस्सी में गुलकंद डालकर पीने से भी लाभ मिलता है।

एक अँधेरे कमरे में लेटने से या करीबन आधा घंटा सोने से भी तानव में कमी आ सकती है।

पान के पत्तों में पीड़ानाशक और ठंडक पहुँचाने वाले गुण होते हैं। इन्हें ग्रसित जगह पर रखने से काफी लाभ मिलता है।

अश्वगंधा, ब्राह्मी, अदरक, हाइपरआइसिन जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी तनाव कम करने में लाभदायक सिद्ध होती हैं।

कुछ खान पान जैसे कि बादाम, नारियल, और सेब जैसे मीठे और रसीले फल, लस्सी, घी, ताज़ी चीज़ और पनीर भी तनाव की अवस्था को ठीक करने में मदद करते हैं।


क्या करें, क्या न करें तनाव-टेंशन दूर करने के लिए.


नकारात्मक सोच का त्याग करें।


मदिरापान और नशीले पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि दोनों ही आपकी डिप्रेशन को बढ़ा सकते हैं।

जब आप डिप्रेशन में हों तो कोई भी बड़ा फैसला लेने का प्रयास न करें।

अपने आपको निरुत्साह न होने दें।

कम से कम आठ घंटे की नींद तो ज़रूर लें।

रात को दस बजे से पहले सोने का प्रयास करें।

तनाव हममे से अधिकतर लोगों की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुका है, और अगर इसे ठीक तरह से संभाला नहीं जाये तो हृदय रोग, पेप्टिक अल्सर, और कैंसर होने की संभावना बन सकती है।


आंखों के नीचे काले धब्बे

 आंखों के नीचे काले धब्बे होना आम समस्या है कम सोने, अधिक थकान होने, कमजोरी अथवा किसी बीमारी के कारण होते है । प्राय: नींद न आने की बीमारी के कारण होते हैं और उनकी आंखों पर काले धब्बे पड़ जाते है । नींद लेना स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है । यदि आपको नींद नही आती, आप को थकावट रहती है तो रोज सुबह घर में ही एक्ससाइज करनी चाहिये ।


 आंखों की चारों तरफ की त्वचा बड़ी नाजुक होती है । इसलिये सौन्दर्य प्रसाधन लगाते समय बड़ी सावधानी बरतनी चाहिये । सोने से पहले त्वचा को नमी देने वाली क्रीम या लोशन इस्तेमाल करनी चाहिये । रूई के फोहे को आंखों के इर्द-गिर्द लगाएं । आंखों के लिये बादाम क्रीम सबसे उपयुक्त होती है । इससे रंग भी साफ होता है और साथ ही त्वचा का पोषण होता है। कोई भी सौन्दर्य-प्रसाधन  तत्व आंखों वाले क्षेत्र पर ज्यादा देर नहीं लगाना चाहिये । चेहरे पर लगाया जाने वाला लेप आंखों के आसपास नहीं लगाना चाहिये । आंखों पर खीरे का रस, आलू का रस तथा गुलाबजल को रूई के फोहे में भिगोकर आंखों पर रखना चाहिये ।


सुंदर बाल

 बेर की पत्तियों व नीम की पत्तियों को बारीक पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर बालों में लगा लें व दो घंटे बाद बालों को धो लें। इसका एक माह तक प्रयोग करने से नए बाल उग आते हैं व बाल झड़ना बंद हो जाते हैं। 


बड़ के दूध में एक नींबू का रस मिलाकर सिर में आधे घंटे तक लगा रहने दें। फिर सिर को गुनगुने पानी से धो लें। इससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है व बाल तेजी से बढ़ते हैं। 


गुड़हल की पत्तियां प्राकृतिक हेयर कंडीशनर का काम देती हैं और इससे बालों की मोटाई बढ़ती है। बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। इससे बालों का झड़ना भी बंद होता है। सिर की त्वचा की अनेक कमियां इससे दूर होती है। 


दो चम्मच ग्लीसरीन, 100 ग्राम दही, दो चम्मच सिरका, दो चम्मच नारियल का तेल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आधा घंटे तक बालों में लगाएं फि‍र पानी से बालों को साफ करें। बालों में कुछ देर के लिए खट्टी दही लगाएं फिर गुनगुने पानी से बाल धो डालें। बाल एकदम मुलायम हो जाएंगे।


चेहरे की झाइयां

 चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप आधा नीबू व आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच बेसन लें। अब इन चीजों को आपस में अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट-सा बना लें। अब इस मिश्रण का मास्क चेहरे पर तीन या चार बार लगाए। 


झाइयां समाप्त हो जाएंगी और आपका चेहरा भी निखर जाएगा। चेहरे पर ताजे नीबू को मलने से भी झाइयों में लाभ होता है। चेहरे पर झाइयां तेज धूप पड़ने के कारण भी हो जाती हैं। अतः तेज धूप से जहां तक हो सके चेहरे को प्रभावित न होने दें। 


सेब खाने और सेब का गूदा चेहरे पर मलने से भी झाइयां दूर होती हैं। रात को नींद न आने से भी चेहरे पर झाइयां पड़ जाती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए रात को सोने से पहले चेहरे को अच्छी तरह धोएं।


तदुपरांत एक चम्मच मलाई में तीन या चार बादाम पीसकर दोनों का मिश्रण बना लें, फिर इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें और सो जाएं। प्रातः उठकर बेसन से चेहरे को धो लें।


प्राकृतिक सुंदरता

 स्त्रियों के लिए पालक का शाक अत्यंत उपयोगी है। महिलाएँ यदि अपने मुख का नैसर्गिक सौंदर्य एवं रक्तिमा (लालिमा) बढ़ाना चाहती हैं, तो उन्हें नियमित रूप से पालक के रस का सेवन करना चाहिए। 


प्रयोग से देखा गया है कि पालक के निरंतर सेवन से रंग में निखार आता है। इसे भाजी (सब्जी) बनाकर खाने की अपेक्षा यदि कच्चा ही खाया जाए, तो अधिक लाभप्रद एवं गुणकारी है। पालक से रक्त शुद्धि एवं शक्ति का संचार होता है। 


पालक को मिक्सी में पुदीना के साथ पीस कर मसाज करने से त्वचा में गुलाबी चमक आती है। पीसी हुई पालक बालों के लिए भी उपयोगी है। रोज पालक का ज्यूस पीने से बाल बढ़ते हैं।


ब्यूटी फेसपैक

 धूप से हुई सांवली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल पानी, कच्चा दूध, खीरे का रस, नींबू का रस, बेसन और थोड़ा-सा चंदन का पावडर मिलाकर उबटन बनाएँ। इसे नहाने के एक घंटे पहले लगा लें। सप्ताह में दो बार करें। सांवलापन खत्म होगा, त्वचा स्निग्ध होकर उजली होने लगेगी। 


यदि चेहरे पर चेचक, छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग रह गए हैं तो दो पिसे हुए बादाम, दो चम्मच दूध और एक चम्मच सूखे संतरों के छिल्कों का पावडर मिलाकर आहिस्ता-आहिस्ता फेस पर मलें और छोड़ दें। 


शहद में कुछ मात्रा में केसर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। इस लेप को आंखों के नीचे के काले घेरों पर लगाएं। अरंडी का तेल आंखों के आसपास के काले घेरे पर लगाने से काले घेरे समाप्त होते हैं। आलू के रस को आंखों के आसपास लगाने से आंखों के काले घेरे साफ होते हैं।