परिचय: हमारे द्वारा किया जाने वाला भोजन जब आमाशय में जाता है तो वह वहां जाकर आमाशय की अग्नि द्वारा ही पकता है। भोजन को जो अन्दर पचाकर रस बनाता है उसे जठराग्नि कहते हैं। शरीर में भोजन इसी के द्वारा पचता है परन्तु जब जठराग्नि कमजोर हो जाती है और भोजन को पचाने में असमर्थ हो जाती है तो व्यक्ति के अन्दर भूख का नाश हो जाता है अर्थात व्यक्ति को भूख नहीं लगती और शरीर में खून की कमी हो जाती है। इससे रोगी में सिर का दर्द, सिर का भारी होना तथा खून की कमी होने जैसे रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस रोग के कारण शरीर सूख जाता है तथा चेहरे पर उदासी व चमक में कमी आ जाती है।
कारण- इस रोग के उत्पन्न होने के अनेक कारण होते हैं। इस रोग को उत्पन्न होने का कारण अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन करना, अनियमित भोजन करना, कोई कार्य न करना, भोजन करने के बाद बैठना, कब्ज बनाने वाले भोजन का सेवन करना आदि है। कभी-कभी यह रोग अधिक वीर्य रस्खलन के कारण भी हो जाता है।
जल चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार- मन्दाग्नि को दूर करने के लिए 1 दिन का उपवास रखना चाहिए। आंतों को साफ करना चाहिए और फिर उपवास करना चाहिए। इस रोग को दूर करने के लिए वीर्य की रक्षा करें।
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