परिचय: टयूमर का रोग शरीर के भीतरी और बाहरी दोनों भागों में हो सकता है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति के शरीर में गांठ, सूजन तथा गिल्टी हो जाती है। इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक परेशानी होती है।
टयूमर होने का कारण : यह रोग उन व्यक्तियों को होता है जिनके शरीर में दूषित द्रव्य जमा होने लगता है। जब यह रोग बहुत अधिक पुराना हो जाता है तो यह जल्दी ठीक नहीं होता है।
टयूमर होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार -
इस रोग का उपचार करने के लिए व्यक्ति को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए तथा उपवास के समय में फलों का रस पीना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति को कब्ज की शिकायत हो तो उसे प्रतिदिन शाम के समय में एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके।
रोगी व्यक्ति को कम से कम 2 सप्ताह तक फल, दूध या सादे भोजन पर रहना चाहिए और प्रतिदिन साधारण स्नान करना चाहिए इसके बाद पूरे शरीर की सूखी मालिश करनी चाहिए।
रोगी व्यक्ति को दिन में 2 बार अपने शरीर को गीले तौलिये से पोंछना चाहिए। इसके बाद पानी में नमक मिलाकर उस पानी से दिन में 2 बार स्नान करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में नमकीन, मिठाई, तली-भुनी चीजों तथा मैदा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को शराब, चाय, कॉफी, पान, तम्बाकू आदि का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में हल्का व्यायाम करना चाहिए तथा गहरी सांस लेनी चाहिए। जब तक रोगी का रोग ठीक न हो जाए तब तक रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में व्यायाम करना चाहिए और रोग वाले भाग पर मिट्टी की गर्म गीली पट्टी दिन में कम से कम 2 बार लगानी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से इस रोग का उपचार करने से कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।
टयूमर रोग से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसके करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि। इन आसनों को सुबह के समय में करना चाहिए।
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