परिचय:-
हैजा रोग को कई और नाम से भी जाना जाता है जैसे- विसूचिका, कालरा, उलाउठा तथा कै-दस्त आदि। इस रोग के और भी कई रूप हैं जो इस प्रकार हैं- अलसक रोग, विलिम्बका तथा विसूचिका।
जब किसी व्यक्ति को हैजा रोग हो जाता है तो उसे उल्टियां और दस्त होने लगती है और उसके पेट तथा पैरों में ऐंठन होने लगती है। इस रोग से पीड़ित रोगी का शरीर ठंडा पड़ जाता है। रोगी की नाड़ी मंद पड़ जाती है। इस रोग के हो जाने के कारण रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसके कारण उसके शरीर में कमजोरी आ जाती है। यह रोग बिना अजीर्ण रोग हुए नहीं होता है। जिस अजीर्ण में सुई चुभने जैसी पीड़ा (दर्द) होती है उसे हैजा कहते हैं।
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर में पेशाब बनकर मूत्राशय में नहीं आ पाता है और शरीर की भीतरी गर्मी के कारण उसका बस्ति स्थान शुष्क हो जाता है जिसके कारण रोगी को पेशाब आना बंद हो जाता है। इसलिए जब तक इस रोग से पीड़ित रोगी का पेशाब आना दुबारा से शुरू नहीं हो जाता तब तक इस रोग का खतरा टला हुआ नहीं समझना चाहिए। इस रोग का जल्दी ही इलाज नहीं किया जाए तो रोगी व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
हैजा रोग के लक्षण-
हैजा रोग से पीड़ित रोगी को उल्टियां और पीले रंग के पतले दस्त होने लगते हैं तथा उसके शरीर में ऐंठन तथा दर्द होने लगता है।
रोगी व्यक्ति को पेट में दर्द, बेचैनी, प्यास, जम्भाई, जलन तथा हृदय और सिर में दर्द होने लगता है।
हैजा रोग के कारण रोगी व्यक्ति का शरीर ठंडा तथा पीला पड़ जाता है और उसकी आंखों के आगे गड्ढ़े बन जाते हैं।
इस रोग से पीड़ित रोगी के होंठ, दांत और नाखून काले पड़ जाते हैं।
कभी-कभी तो इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की हडि्डयां अपने जोड़ों पर से काम करना बंद कर देती है।
हैजा रोग होने का कारण-
यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो कई प्रकार की मक्खियों तथा दूषित पानी से फैलता है।
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके से खान-पान तथा दूषित भोजन का सेवन करना है।
दूषित भोजन के कारण शरीर में दूषित द्रव्य जमा होने लगता है जिसके कारण हैजा रोग हो जाता है।
हैजा रोग अक्सर अजीर्ण (बदहजमी) रोग के हो जाने के कारण होता है।
यदि किसी व्यक्ति की पाचनक्रिया खराब हो जाती है तो भी उसको यह रोग हो सकता हैं।
हैजा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
हैजा रोग से पीड़ित रोगी को पानी में नींबू या नारियल पानी मिलाकर पीना चाहिए ताकि उसके शरीर में पानी की कमी पूरी हो सके और उल्टी करते समय दूषित द्रव्य शरीर से बाहर निकल सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पुदीने का पानी पिलाने से भी बहुत अधिक लाभ मिलता है।
लौंग को पानी में उबालकर रोगी को पिलाने से हैजा रोग ठीक होने लगता है।
तुलसी की पत्ती और कालीमिर्च पीसकर सेवन कराने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्याज तथा नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए रोगी के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद रोगी को एनिमा क्रिया करानी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके। फिर इसके बाद रोगी को गर्म पानी से गरारे कराने चाहिए और इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से हैजा रोग ठीक होने लगता है।
हैजा रोग से पीड़ित रोगी जब तक ठीक न हो जाए तब तक उसे नींबू के रस को पानी में मिलाकर पिलाते रहना चहिए और उसे उपवास रखने के लिए कहना चाहिए। यदि रोगी व्यक्ति को कुछ खाने की इच्छा भी है तो उसे फल खाने के लिए देने चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए फिर इसके बाद इसका उपचार कराना चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए किसी प्रकार की दवाईयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को स्वच्छ स्थान पर रहना चाहिए जहां पर हवा और सूर्य की रोशनी ठीक तरह से प्राप्त हो सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को जब प्यास लग रही हो तो उसे हल्का गुनगुना पानी देना चाहिए।
हैजा रोग से पीड़ित रोगी के हाथ-पैर जब ऐंठने लगे तो उसके हाथ तथा पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रखना चाहिए फिर उस पर गर्म कपड़ा लपेटना चाहिए।
हैजा रोग को ठीक करने के लिए नीली बोतल के सूर्य तप्त जल की 28 मिलीलीटर की मात्रा में नींबू का रस मिलाकर 5 से 10 मिनट के बाद रोगी को लगातार पिलाते रहना चाहिए। यह पानी रोगी को तब तक पिलाते रहना चाहिए जब तक कि रोगी को उल्टी तथा दस्त होना बंद नहीं हो जाते हैं।
हैजा रोग से बचने के उपाय-
इस रोग से बचने के लिए कभी भी अजीर्ण रोग (बदहजमी) नहीं होने देना चाहिए।
इस रोग से बचने के लिए मैले तथा भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कभी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्यक्ति को कभी-भी मलत्याग करने वाली जगह पर नहीं रहना चाहिए।
बासी खाद्य पदार्थों, सड़े-गले खाद्य पदार्थों तथा खुले हुए स्थान पर रखी मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऐसे कुएं तालाबों तथा जलाशयों के जल को कभी भी पीना नहीं चाहिए। जिनके आस-पास गंदगी फैली हो या फिर जिनका पानी गंदा हो।
गर्मी के दिनों में लू चलती है, उससे बचकर रहना चाहिए तथा धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए।
जब भोजन कर रहे हो तो उस समय पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि भोजन करने के 2 घण्टे बाद पानी पीना चाहिए।
भोजन हमेशा सादा करना चाहिए तथा आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए भोजन भूख से अधिक नहीं करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए भोजन में प्याज, पोदीना, नींबू तथा पुरानी पकी इमली का सेवन करना चाहिए।
हैजा रोग से बचने के लिए सभी व्यक्तियों को प्रतिदिन एक या आधा नींबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिए। इस पानी को पीने से खून साफ हो जाता है और हैजा होने का डर बिल्कुल भी नहीं रहता है।
खाने वाली चीजों को हमेशा ढककर रखना चाहिए ताकि इन चीजों पर मक्खियां न बैठ सकें।
रात के समय में अधिक जागना नहीं चाहिए।
अधिक काम करने से बचना चाहिए ताकि शरीर में थकावट न हो सके।
संभोग करने की गलत नीतियों से बचे क्योंकि गलत तरीके से संभोग करने से भी हैजा रोग हो सकता है।
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