सोरायसिस रोग Psoriasis

 परिचय: सोरायसिस रोग जब किसी व्यक्ति को हो जाता है तो जल्दी से ठीक होने का नाम नहीं लेता है। यह छूत का रोग नहीं है। इस रोग का शरीर के किसी भाग पर घातक प्रभाव नहीं होता है। जब यह रोग किसी को हो जाता है तो उस व्यक्ति का सौन्दर्य बेकार हो जाता है तथा वह व्यक्ति भद्दा दिखने लगता है। यदि इस बीमारी के कारण भद्दा रूप न हो और खुजली न हो तो सोरायसिस के साथ आराम से जिया जा सकता है।


सोरायसिस रोग होने के लक्षण- जब किसी व्यक्ति को सोरायसिस हो जाता है तो उसके शरीर के किसी भाग पर गहरे लाल या भूरे रंग के दाने निकल आते है। कभी-कभी तो इसके दाने केवल पिन के बराबर होते हैं। ये दाने अधिकतर कोहनी, पिंडली, कमर, कान, घुटने के पिछले भाग एवं खोपड़ी पर होते हैं। कभी-कभी यह रोग नाम मात्र का होता है और कभी-कभी इस रोग का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है। कई बार तो रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने का अनुमान भी नहीं होता है। शरीर के जिस भाग में इस रोग का दाना निकलता है उस भाग में खुजली होती है और व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान भी करती है। खुजली के कारण सोरायसिस में वृद्धि भी बहुत तेज होती है। कई बार खुजली नहीं भी होती है। जब इस रोग का पता रोगी व्यक्ति को चलता है तो रोगी को चिंता तथा डिप्रेशन भी हो जाता है और मानसिक कारणों से इसकी खुजली और भी तेज हो जाती है।

सोरायसिस रोग के हो जाने के कारण और भी रोग हो सकते हैं जैसे- जुकाम, नजला, पाचन-संस्थान के रोग, टान्सिल आदि। यदि यह रोग 5-7 वर्ष पुराना हो जाए तो संधिवात का रोग हो सकता है।


सोरायसिस रोग होने का कारण:-


अंत:स्रावी ग्रन्थियों में कोई रोग होने के कारण सोरायसिस रोग हो सकता है।

पाचन-संस्थान में कोई खराबी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

बहुत अधिक संवेदनशीलता तथा स्नायु-दुर्बलता होने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।

खान-पान के गलत तरीकों तथा असन्तुलित भोजन और दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।

असंयमित जीवन जीने, जीवन की विफलताएं, परेशानी, चिंता तथा एलर्जी के कारण भी यह रोग हो सकता है।

सोरायसिस रोग के होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-


इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को 1 सप्ताह तक फलों का रस (गाजर, खीरा, चुकन्दर, सफेद पेठा, पत्तागोभी, लौकी, अंगूर आदि फलों का रस) पीना चाहिए। इसके बाद कुछ सप्ताह तक रोगी व्यक्ति को बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए जैसे- फल, सलाद, अंकुरित दाल आदि और इसके बाद संतुलित भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में फल, सलाद का अधिक सेवन करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति यदि उपचार करे तो उसका सोरायसिस रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।

सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को दूध या उससे निर्मित खाद्य पदार्थ, मांस, अंडा, चाय, काफी, शराब, कोला, चीनी, मैदा, तली भुनी चीजें, खट्टे पदार्थ, डिब्बा बंद पदार्थ, मूली तथा प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।

नारियल, तिल तथा सोयाबीन को पीसकर दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

आंवले का प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

विटामिन `ई´ युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करने से यह रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।

जौ, बाजरा तथा ज्वार की रोटी इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।

सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी प्रतिदिन दिन में 4 बार पीने से तथा सूर्यतप्त हरी बोतल का नारियल का तेल दानों पर लगाने से सोरायसिस रोग ठीक हो जाता है।

सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में खुली हवा में गहरी सांस लेनी चाहिए तथा धूप स्नान करना चाहिए। इसके बाद नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से रोगी को स्नान करना चाहिए और सप्ताह में 1 बार पानी में नमक डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन एनीमा क्रिया करके पेट को साफ करना चाहिए तथा कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन कुछ समय तक हरी घास पर नंगे पैर चलना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने पर सोरायसिस रोग ठीक हो जाता है।


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