अफारा रोग Flatulence

 परिचय: इस रोग के कारण रोगी के पेट में गैस बनने लगती है जिसके कारण रोगी का पेट फूलने लगता है और पेट में दर्द होने लगता है। इस रोग को फ्लेटूलेन्स भी कहते हैं। इस रोग के कारण रोगी को डकारे भी आने लगती हैं।


अफारा रोग होने का कारण : जब कोई व्यक्ति वसामय भोजन को खाता है तो इसके कारण कभी-कभी जिगर से पर्याप्त मात्रा में पित्त नहीं निकल पाता है जिसके कारण भोजन के टुकड़े नहीं हो पाते हैं और भोजन के टुकड़े छोटे-छोटे कैप्सूल के रूप में बन जाते हैं। ये कैप्सूल आंतों की दीवारों से चिपककर सड़न तथा गंदी गैस निकालना शुरू कर देते हैं। ये गैस आंतों में जमा हो जाती हैं तथा बेचैनी पैदा कर देती है जिसके कारण व्यक्ति को यह रोग हो जाता है।

इस रोग के होने का मुख्य कारण अजीर्ण (बदहजमी) है।

यह रोग कई प्रकार के अनावश्यक भोजनों का सेवन करने के कारण भी होता है।

खाना खाते समय हवा की मात्रा निगलने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

पाचनशक्ति कमजोर होने के कारण अफारा रोग व्यक्ति को हो जाता है।


अफारा रोग के लक्षण : 


इस रोग से पीड़ित रोगी को बेचैनी होने लगती है तथा उसका पेट फूलने लगता है।

रोगी व्यक्ति को पेट में गैस बनने के कारण दर्द होने लगता है।

 इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को डकारे आने लगती है और डकारों के द्वारा रोगी व्यक्ति के मुंह से गैस निकलने लगती है।

इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को कभी-कभी सांस लेने में परेशानी भी होने लगती है।

अफारा (पेट में वायु भर) जाने के कारण दर्द से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-


इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को 2-3 दिन तक उपवास करना चाहिए तथा दोनों समय एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।

रोगी व्यक्ति को नींबू का पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए तथा इसके बाद रोगी व्यक्ति को पेट पर ठंडा सेंक लेना चाहिए। इसके बाद दिन में 2 बार अपने पेडू पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए।

रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों के लिए अपनी कमर पर रात के समय में गीली पट्टी लगानी चाहिए तथा सोने से पहले 15 से 20 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। सुबह के समय उठते वक्त तथा रात को सोने से पहले कागजी नींबू का रस 1 गिलास गरम पानी में निचोड़कर पी लेना चाहिए।

अफारा तथा पेट के सभी प्रकार के दर्दों को ठीक करने के लिए गहरी नीली बोतल के सूर्यतप्त जल को 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 6 बार लेने से बहुत अधिक लाभ होता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के साथ कुछ पदार्थों को खाने में परहेज भी करना चाहिए, तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है। ये पदार्थ इस प्रकार हैं- कच्चा खीरा, पत्ता गोभी, मटर, टमाटर, मूंगफली, किशमिश, आम, आलू, दूध तथा चावल आदि।

रोगी व्यक्ति को उन पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे अधिक मात्रा में गैस बनती है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में 1 गिलास सन्तरे का रस पीना चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में 1 गिलास सेब का रस पीना चाहिए तथा इसके बाद 1 गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

अफारा रोग से पीड़ित रोगी को अपनी नाभि के ऊपर तथा चारों तरफ सरसों का तेल लगाने से बहुत लाभ मिलता है।

नींबू के रस के साथ सौंफ का सेवन करने तथा इसके बाद भोजन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

1 चम्मच अजवायन का पाउडर तथा थोड़ा-सा काला नमक दिन में 2 बार मट्ठे के साथ सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को मिर्च-मसालेदार तथा गैस बनाने वाले पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।


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