परिचय: इस रोग के कारण रोगी की गर्दन की मांसपेशियों में दर्द तथा सूजन हो जाती है। पेशीवात रोग को अंग्रेजी में मस्कुलर रिहमटिज्म कहते हैं। यह रोग स्नायु (नाड़ी) में सूजन आ जाने के कारण होता है।
पेशीवात रोग के लक्षण: इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति अपनी गर्दन को एक तरफ करके पड़ा रहता है और उसकी पंजरी की मांसपेशियों में दर्द तथा सूजन हो जाती है। इस रोग के कारण जब मांसपेशियों में दर्द होता है तो उसे व्यक्ति को हिलने-डुलने में परेशानी होने लगती है।
पेशीवात रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
पेशीवात के रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने स्नायु की सूजन ठीक करनी चाहिए तभी यह रोग ठीक हो सकता है क्योकि यह रोग स्नायु में सूजन होने के कारण ही होता है।
पेशीवात के रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन, यौगिक क्रियाएं तथा स्नान करना चाहिए, जिसके फलस्परूप पेशीवात रोग ठीक हो जाता है। ये आसन, यौगिक क्रियाएं और स्नान इस प्रकार हैं- रीढ़स्नान, कटिस्नान, मेहनस्नान, योगासन, एनिमा क्रिया तथा प्राणायाम आदि।
पेशीवात के रोग को ठीक करने के लिए रोगी को प्रतिदिन एनिमा क्रिया करनी चाहिए क्योंकि यह रोग स्नायु में सूजन के कारण होता है और स्नायु में सूजन शरीर में दूषित द्रव्य जमा होने के कारण होती है। एनिमा क्रिया करने से पेट में जमा दूषित द्रव्य बाहर हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप स्नायु की सूजन ठीक हो जाती है और पेशीवात का रोग भी ठीक हो जाता है।
पेशीवात से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए तथा प्रतिदिन कम से कम 7-8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
पेशीवात के रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कम से कम 7 मिनट तक गर्म पानी में कपड़े को भिगोकर फिर निचोड़कर अपने पेशी की सिंकाई करनी चाहिए तथा इसके बाद ठंडे पानी में 5 मिनट तक कपड़े को भिगोकर इससे अपने पेशी की सिंकाई करनी चाहिए। इस क्रिया को कम से कम आधे घण्टे तक दोहराते रहना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
यदि पेशीवात का रोग पुराना हो तो रोगी को अपनी पेशी पर कम से कम 2 घण्टे तक गर्म तथा ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इसके बाद पेशी पर भाप देनी चाहिए और गर्म कपड़े को कुछ समय के लिए अपनी पेशी पर लपेटना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
पेशीवात के रोग ठीक करने के लिए कभी भी मालिश का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे रोग की स्थिति और बिगड़ सकती है। रोगी व्यक्ति को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
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