परिचय: यह एक प्रकार का चर्म रोग है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर की त्वचा पर छल्ले जैसे चकत्ते हो जाते हैं। दाद शरीर की त्वचा पर धब्बे के रूप में भी पाया जाता है। दाद व्यक्तियों की हथेलियों, एड़ियों, खोपड़ी, दाढ़ी तथा शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। दाद शरीर के जिस भाग पर होता है उस भाग पर खुजली मचती है और जब व्यक्ति इसे खुजलाने लगता है तो यह और भी फैलने लगता है।
दाद होने का कारण:-
दाद शरीर की त्वचा पर एक विशेष प्रकार के कीटाणु की उत्पत्ति के कारण होता है।
दाद रोग शरीर की ठीक प्रकार से सफाई न करने के कारण होता है।
शरीर का कोई अंग अधिक पानी में भीगने लगता है तो यह रोग उस व्यक्ति को हो जाता है।
दाद का रोग एक प्रकार का तेज संक्रामक रोग है। इसलिए जिस व्यक्ति को यह रोग हो गया हो, उसके तौलियों ब्रशों तथा और भी ऐसी चीजें जिन्हें वह व्यक्ति उपयोग करता है, उन चीजों को यदि कोई अन्य व्यक्ति उपयोग करता है तो यह रोग उस दूसरे व्यक्ति को भी हो जाता है।
दाद होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
दाद रोग से पीड़ित रोगी को इस रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले दाद वाले भाग पर थोड़ी देर गर्म तथा थोड़ी देर ठंडी सिंकाई करके, उस पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए। इससे दाद जल्दी ही ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति के दाद वाले भाग को आधे घण्टे तक गर्म पानी में डुबोकर रखना चाहिए तथा इसके बाद उस पर गर्म गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए इसके फलस्वरूप दाद कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
यदि दाद से बहुत अधिक दूषित द्रव्य निकल रहा हो तो दाद वाले भाग को गुनगुने पानी में कम से कम तीन बार डुबोना चाहिए और इसके बाद उस पर गर्म और ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन रात को सोने से पहले दाद वाले स्थान पर गर्म गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए और सप्ताह में कम से कम दो बार पूरे शरीर पर गीली चादर की लपेट लगानी चाहिए। रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन दिन में 2 बार कटिस्नान करना चाहिए और दो बार दाद पर भापस्नान देना चाहिए। इसके बाद गीली मिट्टी की गर्म पट्टी दाद पर करनी चाहिए इसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है और उसका दाद ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके, अपने पेट को साफ करना चाहिए और फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को नींबू का रस पानी में मिलाकर प्रतिदिन कम से कम 5 बार पीना चाहिए और भोजन सादा करना चाहिए।
दाद रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को दाद वाले भाग पर प्रतिदिन कम से कम दो घण्टे तक नीला प्रकाश डालना चाहिए।
दाद रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी रंग की बोतल के सूर्यतप्त जल की 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन दिन में 4 बार पीना चाहिए, इससे दाद का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
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