परिचय: यह एक प्रकार का घाव है जो रोगी की जांघ और जननेन्द्रियों के बीच ऊपर की तरफ पुट्ठों में निकलता है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो सबसे पहले उसकी जननेन्द्रियों के पास सूजन हो जाती है, उसके बाद वहां एक कठोर सी गांठ बन जाती है। इन गांठों में कभी-कभी तो दर्द होता है और कभी-कभी दर्द नहीं होता है। यह दोनों ही प्रकार की होती है। बाघी घाव कभी पकता है तो कभी नहीं पकता है। बाघी घाव के कारण जब दर्द होता है तो वह बहुत तेज होता है और दर्द का असर पूरी जांघ तक होता है।
बाघी घाव होने का कारण-
1. बाघी घाव के होने का सबसे प्रमुख कारण अनियमित यौनक्रिया करना और कूदना तथा छलांग लगाना आदि है।
2. शरीर में दूषित मल उत्पन्न होने के कारण जब दूषित मल खून में फैल जाता है तो यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
बाघी घाव होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. बाघी घाव से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को स्नान करते समय अपने सिर को ठंडे पानी से धोना चाहिए और मस्तिष्क पर ठंडे पानी से भीगा एक तौलिया रखना चाहिए।
2. रोगी व्यक्ति को कटिस्नान करने के बाद 2 मिनट तक दुबारा ठंडे पानी से कटिस्नान करना चाहिए। इस क्रिया को दिन में 3 बार दोहराना चाहिए।
3. बाघी घाव का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति का बाघी घाव जब तक पक न जाए, तब तक उस पर प्रतिदिन 2-3 बार गुनगुना पानी छिड़कना चाहिए या फिर 10 मिनट तक दो से तीन बार कम से कम दो घण्टे तक बदल-बदल कर गर्म मिट्टी का लेप करना चाहिए या फिर कपड़े की गीली पट्टी करनी चाहिए। जब बाघी घाव पक जाए तो उसे फोड़कर पीब तथा जहरीले रक्त को बाहर निकाल देना चाहिए। इसके बाद नीम की पत्तियां पीसकर लेप बनाकर बाघी घाव पर लगानी चाहिए तथा कपड़े से पट्टी कर लेनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदन पट्टी करने से बाघी घाव कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
4. रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके तथा दूषित द्रव्य उसके शरीर से बाहर निकल सके।
5. नींबू के रस को पानी में मिलाकर, उस पानी से बाघी घाव को धोना चाहिए। इसके बाद बाघी घाव पर कपड़े की पट्टी कर लेनी चाहिए। जब बाघी घाव पीबयुक्त हो जाए तो उस पर कम से कम पांच मिनट तक गर्म पानी से भीगे कपड़े की पट्टी करनी चाहिए। इसके बाद बाघी घाव को फोड़कर पीब तथा जहरीले रक्त को बाहर निकाल देना चाहिए और फिर इसके बाद ठंडे पानी में भीगे कपड़े से दिन में 3-4 बार सिंकाई करनी चाहिए। इससे बाघी घाव कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
6. जब बाघी घाव फूट जाए तो दिन में 2 बार उस पर हल्की भाप देकर बलुई मिट्टी की भीगी गर्म पट्टी या कपड़े की भीगी पट्टी बदल-बदलकर लगानी चाहिए। इसके बाद जब इस पट्टी को खोलें तो पट्टी को ठंडे पानी से धोकर खोलना चाहिए।
7. बाघी घाव को मक्खी आदि से बचाने के लिए उस पर नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और इसके साथ-साथ इसका प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए। ऐसा करने से बाघी घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।
8. रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में नीम की 4-5 पत्तियां चबाने से उसका बाघी घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।
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