आहार और आयुर्वेद



आजकाल हम लोगो पर पोषण व आहार पर सूचना और सुझावों की बमबारी सभी दिशाओं हो रही हैं. अक्सर हम पूरी तस्वीर देखने में असमर्थ होते हैं व पेशकश करतों की विरोधाभासी प्रतीत होती सलाह द्वारा भ्रमित हो जाते हैं. आयुर्वेद के अनुसार आहार व्यक्ति को इस भूलभुलैया के मध्य में से एक रास्ता खोजने में मदद कर सकता हैं. यह अपने प्राचीन ज्ञान पर आधारित एक शुद्ध शाकाहारी भोजन के रुप में प्रस्तुत करता है. आयुर्वेद के अनुसार, अच्छे स्वास्थ्य का आहार एक महत्वपूर्ण नींव है जो रोगों के उपचार में सहयोगी है. दीर्घायु, शक्ति, ऊर्जा, विकास, रंग, और चमक यह सब एक अच्छा पाचन तंत्र और एक अच्छे आहार पर निर्भर करते हैं.


एक आदर्श आहार पर आयुर्वेदिक संकेत:

- यह अच्छा स्वादिष्ट होना चाहिए.

- यह संतुष्ट करने वाला होना चाहिए.

- यह शरीर को मज़बूत करने वाला होना चाहिए.

- यह तत्काल और स्थायी ऊर्जा दोनों देने वाला होना चाहिए.

- यह उचित मात्रा में लिया जाना चाहिए.

- यह जीवन शक्ति और स्मृति को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए.

- यह दीर्घायु को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए.


स्वस्थ भोजन के लिए दिशानिर्देश:

- एक सुखद वातावरण में बैठो व खाओ.

- पिछले भोजन (पांच से छह घंटे) के पच जाने के बाद ही खाएं.

- रात में देर से न खाएं.

- खाना शांति से खाओ और अच्छी तरह चबाना.

- भोजन के साथ एक छोटे पात्र में गुनगुना गर्म पानी या जड़ी बूटी वाली चाय पीना चाहिए.

- शुद्ध मन अपने पाचन तंत्र और भोजन की ऊर्जा को प्रभावित करता है.

- प्रतिदिन नियमित रूप से और एक ही समय में भोजन लेना चाहिए.

- भोजनों के बीच नाश्ता करने से बचें.

- भोजन केवल आधा पेट पूर्ण हो, एक चौथाई को पानी के लिए व एक चौथाई खाएं हुवे और गैसों के विस्तार के लिए खाली छोड़ दें.

- अपने भोजन के साथ फल और फलों के रस से बचें.

- हर समय ठंडा या बर्फ यक्त पेय से बचें.

- दवा के रूप में भोजन का उपयोग करें. मनुष्य वाही होता है जो वह खाता हैं.

- अपने भोजन के लिए सवृदय से धन्यवाद करे.


अतिरिक्त पकाया भोजन विश्क्त हो सकता है

कई शोध मानव शरीर में विषाक्तता पर संपन्न हुवे है. विषाक्तता सभी बीमारियों की जड़ है. रोगों को सभी प्रकार से दूर रखने के लिए डी-टोक्सिन पूरे शरीर के लिए आवश्यक है. डी-टोक्सिफिकैशन का पर्याय है अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ भोजन व नियमित उपवास.

असंतुलित भोजन शरीर रसायन विज्ञान और रक्त कोशीय चयापचय में असंतुलन का कारण बनता है जो कैंसर, गठिया, मधुमेह व दिल का दौरा पड़ने जैसी बीमारियों के मुख्य कारणों में से एक है. इस असंतुलित भोजनों में अधपका, अधिक लवणों से युक्त व प्रिसर्वेटिव से युक्त खाद्य पदार्थों का लगातार सेवन करना भी सहयोगी है.

पारंपरिक सात्विक व समय अनुसार किया गया भोजन ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है.


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