खांसीः 20 ग्राम गेहूं के दानों को नमक मिलाकर 250 ग्राम जल गरम गरम पीलें। ऐसा लगभग एक सप्ताह करने से खांसी दूर होती है।
उदर शूलःगेहूं की दलिया में चीनी व बादाम गिरी मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क ,दिमाग की कमजोरी, नपुंसकता तथा छाती में होने वाली पीड़ा शांत हो जाती है।
खुजलीः गेहूं के आटे को गूथ कर त्वचा की जलन खुजली बिना पके फोड़े फुंसी तथा आग में झुलस जाने पर लगा देने से ठंडक पड़ जाती है।
अस्थि भंगः थोड़े से गेहूं को तवे पर भूनकर पीस लें और शहद मिलाकर कुछ दिनों तक चाटने से अस्थिभंग दूर हो जाता है।
कीट दंशः यदि कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो गेहूं के आटे में सिरका मिलाकर दंश स्थान पर लगाना चाहिए।
बालतोड़ :शरीर के किसी भी अंग पर से बाल टूट जाने से फोड़ा हो जाता है, जो कि अत्यंत दाहक और कष्टकर होता है। इसमें मुख से गेंहू के दाने चबा चबाकर बांधने से 2-3 दिन में ही लाभ हो जाता है।
पथरी. गेहूं और चने को उबालकर उसके पानी को कुछ दिनों तक रोगी व्यक्ति को पिलाते रहने से मूत्राशय और गुरदा की पथरी गलकर निकल जाती है।
गेहूं में है सबसे अधिक फाइबर
सभी तरह के फाइबर जरूरी हैं, चाहे उन्हें किसी भी स्रेत से प्राप्त किया जा रहा हो। शरीर के लिए इन सभी के अपने-अपने फायदे हैं। गेहूं का चोकर फाइबर का सबसे अच्छा स्त्रोत है। बादाम-अखरोट, चावल जैसे अन्य अनाजों की अपेक्षा गेहूं के चोकर में अधिक फाइबर होता है। साबुत गेहूं और गेहूं के चोकर के फायदों को समझने के लिए भोजन में मौजूद रेशे के विषय में जानना जरूरी है। वनस्पति का वह भाग जो खाने योग्य, लेकिन अपाच्य होता है, आहारीय फाइबर कहलाता है। इसलिए, अच्छी सेहत के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाना आवश्यक है।
गेहूं का चोकर क्या हैं
साबुत गेहूं में पाया जाने वाला चोकर अपने स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न गुणों के कारण महत्वपूर्ण है। गेहूं के दाने का बाहरी आवरण गेहूं का चोकर है, जिसे सामान्य बोलचाल में गेहूं का छिलका कहा जाता है। गेहूं की पिसाई के समय इसका बाहरी आवरण हट जाता है और अंदरूनी श्वेतसार पिस कर आटा बन जाता है। चोकर के कारण गेहूं का आटा भूरा दिखाई देता है। गेहूं के चोकर में अघुलनशील फाइबर होता है, जिसे सैलूलोज कहते हैं। इसमें कैल्शियम, सिलीनियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस जैसे खनिजों के साथ-साथ विटमिन ई और बी कॉम्प्लेक्स पाए जाते हैं। इसलिए, जहां मैदा रिफाइंड आटा देखने में सुंदर लगता है और कुछ पकवानों को चिकना बनाता है, वहीं छिलका सहित साबुत गेहूं का आटा सेहत के लिए फायदेमंद होता है। आवश्यक फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर छिलका सहित गेहूं और इसका चोकर स्टार्च के पाचन के लिए कुदरत का पौष्टिक उपहार है। इसलिए विशेषज्ञ इसके सेवन पर जोर देते हैं।
पाचन तंत्र मजबूत बनाएं
हमारी पाचनशक्ति और सामान्य तंदुरुस्ती में फाइबर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आहार में फाइबर की कमी होने से पाचनतंत्र उपयुक्त ढंग से काम नहीं करता है। हालांकि, हमारा पाचनतंत्र अस्वास्थ्यकर आहार और भावनात्मक आवेग से उत्पन्न तनाव का कुछ समय तक तो सामना कर सकता है, लेकिन बाद में समस्या खड़ी हो सकती है। इसलिए अपने पाचनतंत्र की शक्ति बनाए रखने के लिए सही कदम उठाना जरूरी है।
कब्ज से दिलाए राहत
इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि कब्ज दूर करने और सहज शौच के लिए गेहूं का चोकर सर्वश्रेष्ठ फाइबर है। यह पाचनतंत्र में पदार्थों की गति बनाए रखता है। अनेक लोगों को समय-समय पर पेट फूलने और सुस्ती जैसी पाचन संबंधी गड़बड़ी की शिकायत रहती है। जब हम अनियमित आहार अपनाते हैं और हमारी पाचन क्रिया की गति धीमी हो जाती है तब हालत और भी बिगड़ सकते हैं। लेकिन फाइबर और खासकर गेहूं के चोकर का पर्याप्त सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानी और कब्जियत से मुक्ति में मदद मिलती है।
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