निम्न रक्तचाप Low Blood Pressure

 परिचय: जब किसी व्यक्ति को लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) का रोग हो जाता है तो उसके शरीर की धमनियों के द्वारा रक्त की संचारण गति कम हो जाती है जिसके कारण से शरीर के अन्य भागों तथा मस्तिष्क के भागों में रक्त बहुत कम मात्रा में पहुंचता है और इन भागों का सही से विकास होना रुक जाता है। इस रोग के हो जाने के कारण शरीर में रक्त (खून) की मात्रा कम हो जाती है। यह रोग पुरुषों से ज्यादा स्त्रियों को होता है।


लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) रोग के लक्षण-


लो-ब्लडप्रेशर रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में हर समय सुस्ती सी छाई रहती है। रोगी व्यक्ति को किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगता है तथा उसे थकान अधिक महसूस होती है।

लो-ब्लडप्रेशर के रोग में रोगी की स्मरणशक्ति (याद्दाश्त) कम हो जाती है जिसके कारण रोगी व्यक्ति कुछ भी सोचने-समझने में असमर्थ रहता है। कभी-कभी तो रोगी व्यक्ति को चक्कर भी आने लगते हैं तथा उसे आत्महत्या करने का मन करता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में हर समय दर्द होता रहता है।

रोगी की धड़कन की गति कम हो जाती है तथा उसे अधिक कमजोरी भी महसूस होने लगती है।

लो ब्लडप्रेशर रोग के कारण रोगी व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, आलस्य, चक्कर आना, घबराहट महसूस होना, पसीना आना आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की नाड़ी धीमी तथा कमजोर हो जाती है जिसे उंगुलियों से कलाइयों को दबाकर आसानी से महसूस किया जा सकता है।

लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) से पीड़ित रोगी कई बार चलते-चलते बेहोश होकर गिर पड़ता है।


लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) रोग होने का कारण-


लो ब्लडप्रेशर होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में विटामिन `बी´ तथा `सी´ की कमी होना है।

असंतुलित भोजन तथा गलत तरीके से खानपान के कारण रक्तचाप गिर जाता है और लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

शरीर में खून की कमी तथा क्षय (टी.बी.) रोग के कारण भी यह रोग हो सकता है।

लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) का रोग कई प्रकार के रोग होने के कारण भी हो सकता है जैसे- तेज उल्टिया होना, हैजा, टायफाइड तथा दस्त आदि।

आग से जलने के कारण या शरीर में तरल पदार्थों की कमी हो जाने के कारण भी लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

मानसिक कार्य की अधिकता या मानसिक भावुकता के कारण भी यह रोग हो सकता है।

पेट में कब्ज बनी रहने के कारण भी लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

स्त्रियों को मासिकधर्म से सम्बन्धित रोग हो जाने के कारण भी लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

अंत:स्रावी ग्रन्थियों में किसी प्रकार से विकृति आ जाने के कारण लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

किसी-किसी व्यक्ति को यह रोग आनुवंशिकता के कारण भी हो जाता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। यह रोग व्यक्ति को उनके माता-पिता के रोगग्रस्त होने के कारण भी हो सकता है।

हृदय रोग होने के कारण रक्त संचारण में कमी आ जाती है जिसके कारण से हृदय की पेशी परिसंचरण में पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति को लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

अधिक उपवास रखने के कारण भी यह रोग हो सकता है क्योंकि उपवास रखने से शरीर का भरपूर मात्रा में पोषण नहीं हो पाता है और लो ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

भोजन में पौष्टिक पदार्थों का अभाव, ताजे फल तथा हरी साग-सब्जियों का सेवन न करने तथा बासी भोजन करने आदि के कारण भी यह रोग हो जाता है।

यह रोग व्यक्ति को तब भी हो जाता है जब वह अन्य रोगों से पीड़ित हो जैसे- शरीर में खून की कमी, हृदय धमनी रोग, टी.बी. रोग, टायफाइड तथा शोक आदि।


लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-


लो ब्लडप्रेशर रोग को ठीक करने के लिए दवाइयों का सेवन करना हानिकारक होता है इसलिए दवाइयों के सहारे लो ब्लडप्रेशर रोग का उपचार नहीं कराना चाहिए बल्कि इस रोग का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।

लो ब्लडप्रेशर रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए तथा रसदार फलों का सेवन करना चाहिए।

रोगी को भोजन में उबली हुई सब्जियां, सब्जियों का सूप, दूध, शहद, दही तथा भिगोई हुई किशमिश, मुनक्का तथा चोकर समेत आटे की रोटी का सेवन करना चाहिए।

पुदीने का पानी तथा चुकन्दर का रस लो ब्लडप्रेशर रोग को ठीक करने में लाभदायक होता है।

तुलसी के ताजे पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

लो ब्लडप्रेशर रोग को ठीक करने के लिए रोगी को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए ताकि उसका कब्ज रोग दूर हो सके। इसके बाद रोगी को अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए तथा इसके बाद रीढ़ की हड्डी पर मालिश करनी चाहिए और अपने शरीर पर गीली चादर लपेटनी चाहिए। रोगी व्यक्ति को सप्ताह में एक बार वाष्पस्नान, गर्म पादस्नान करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को स्नान करने से पहले कम से कम 15 मिनटों तक सूखा घर्षण क्रिया करनी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से लो ब्लडप्रेशर का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

लो ब्लडप्रेशर रोग को ठीक करने के लिए 25 ग्राम किशमिश तथा 50 ग्राम चनों को रात में सोते समय पानी में भिगोने के लिए रख दें तथा सुबह के समय में उठकर इसे चबा-चबाकर खा लें तथा इसके पानी को पी लें। प्रतिदिन इस प्रकार का प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।

रोजाना ककड़ी तथा खीरे का रस पीने से लो ब्लडप्रेशर का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

मठे (लस्सी) में काला नमक, कालीमिर्च पाउडर तथा 2 चुटकी हींग डालकर प्रतिदिन पीने से लो ब्लडप्रेशर (निम्न रक्तचाप) रोग ठीक हो जाता है।

रोजाना आधा कप आंवला के रस में 2 चम्मच शहद डालकर पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

लो ब्लडप्रेशर रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में हरी घास पर नंगे पैर चलने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को ज्यादा सोच-विचार का कार्य नहीं करना चाहिए तथा अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।


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