परिचय: जब किसी व्यक्ति के खून में लाल कण कम हो जाते हैं तो व्यक्ति को रक्ताल्पता (खून की कमी) रोग हो जाता है और शरीर में खून की कमी हो जाती है।
रक्ताल्पता रोग होने का लक्षण-
जब किसी व्यक्ति को रक्ताल्पता (खून की कमी) रोग हो जाता है तो उसे कमजोरी अधिक महसूस होती है तथा उसके शरीर में खून की कमी हो जाती है।
इस रोग से पीड़ित रोगी की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है तथा उसे थकान अधिक महसूस होती है और रोगी व्यक्ति की सांस भी फूलने लगती है।
रोगी के सिर में चक्कर आने लगता है तथा उसे कोई भी कार्य करने का मन नहीं करता है। रोगी के नाखूनों का रंग सफेद हो जाता है और चेहरे की चमक भी खो जाती है।
रक्ताल्पता रोग होने का कारण:-
जब शरीर में लौहतत्व, प्रोटीन तथा विटामिन की कमी या फिर किसी रोग के कारण खून में लाल रक्तकणों का बनना बंद हो जाता है तो व्यक्ति को यह रोग हो जाता है।
किसी तरह की चोट, बवासीर तथा स्त्रियों में मासिकधर्म सम्बन्धित किसी रोग के हो जाने के कारण शरीर में रक्ताल्पता (खून की कमी) का रोग हो जाता है।
पेट में कीड़े हो जाने के कारण भी रक्ताल्पता (खून की कमी) का रोग हो सकता है।
अधिक मानसिक तनाव तथा चिंता पाचन रसों को प्रभावित करता है जिसके कारण शरीर में लौहतत्वों और विटामिनों की कमी हो जाती है और रक्ताल्पता (खून की कमी) का रोग हो जाता है।
किसी दुर्घटना के कारण शरीर से अधिक मात्रा में खून निकल जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
रक्ताल्पता रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
रक्ताल्पता रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन पालक का रस शहद में मिलाकर पीना चाहिए या अनार का रस, अंगूर का रस, संतरे का रस, मौसमी का रस, गाजर का रस, पत्तागोभी का रस, अमरूद का फल, केला, टमाटर, सेब, चुकन्दर, पोदीना, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
रक्ताल्पता रोग को ठीक करने के लिए अंजीर का सेवन बहुत ही उपयोगी है इसलिए रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम में अंजीर का सेवन करना चाहिए।
शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए मुनक्का, हल्दी, मेथी तथा खजूर का सेवन बहुत लाभकारी है।
नीम की 2-3 पत्तियों को रोजाना सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है। इस रोग में गेहूं के जवारे का रस पीना भी बहुत लाभकारी होता है।
रक्ताल्पता रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करनी चाहिए। इसके बाद रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए और फिर पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके बाद सूखा घर्षण तथा लंबी गहरी सांस लेनी चाहिए और फिर प्राणायाम, धूप स्नान, सूर्य नमस्कार, ज्ञानमुद्रा तथा प्राणमुद्रा करना चाहिए। इस प्रकार की क्रिया रोगी को प्रतिदिन करनी चहिए जिसके परिणामस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन अपने शरीर पर मालिश करनी चाहिए।
रक्ताल्पता रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की योगक्रिया तथा आसन हैं जिन्हें प्रतिदिन नियमपूर्वक करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन तथा योगक्रियाएं इस प्रकार हैं- सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानापादासन, शवासन, ध्यान, योगमुद्रासन तथा योगनिद्रा आदि।
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