टाइफाईड रोग Typhoid

 


परिचय: इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण बैक्टीरिया का संक्रमण है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के शरीर में भोजन नली तथा आंतों में चले जाते हैं और फिर वहां से वे खून में चले जाते हैं और कुछ दिनों के बाद व्यक्ति को रोग ग्रस्त कर देते हैं। इस रोग में रोगी के शरीर पर गुलाबी रंग के छोटे-छोटे दानों जैसे धब्बे निकल जाते हैं। इस रोग में रोगी की तिल्ली बढ़ जाती है और उसके पेट में गड़बड़ी बढ़ जाती है। इस रोग में व्यक्ति को शाम के समय में अधिक बुखार हो जाता है और यह बुखार कई दिनों तक रहता है।


टाइफाईड रोग के लक्षण-


टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में हर समय बुखार रहता है तथा यह बुखार शाम के समय और भी तेज हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द भी रहता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है तथा उसका जी मिचलाता रहता है।

टाइफाईड रोग के रोगी को भूख नहीं लगती तथा उसकी जीभ पर मैल की परत सी जम जाती है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के शरीर की मांस-पेशियों में दर्द होता रहता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को कब्ज तथा दस्त की समस्या भी हो जाती है।


टाइफाईड रोग होने का कारण-


टाइफाईड रोग एक प्रकार के जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है इस जीवाणु में बूसीलस टायफोसस जीवाणु प्रमुख है।

बूसीलस टायफोसस जीवाणु दूध तथा मक्खन में तेजी से पनपता है। जब कोई व्यक्ति इसके संक्रमण से प्रभावित चीजों का सेवन कर लेता है तो उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।

बूसीलस टायफोसस जीवाणु पानी, नालियों में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ, मक्खियों के शरीर से, मल-मूत्र से पैदा होता है। जब कोई व्यक्ति इस चीजों के सम्पर्क में आता है तो उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।

जिन व्यक्तियों को टाइफाईड रोग हो चुका हो उसके सम्पर्क में यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति आ जाता है तो उसे भी टाइफाईड रोग हो जाता है।

बूसीलस टायफोसस जीवाणु किसी तरह से व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है तो यह उसके शरीर के अंदर एक प्रकार का जहर (विष) का निर्माण करता है जो खून के द्वारा स्नायु प्रणाली जैसे सारे अंगों में फैल जाता है जिसके कारण रोगी के शरीर में रक्तविषाक्तता की अवस्था प्रकट हो जाती है और उसे टाइफाईड रोग हो जाता है।


टाइफाईड रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-


टाइफाईड रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए, जब तक कि उसके शरीर में टाइफाईड रोग होने के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में काली मिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को बुखार होने पर उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए, इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को उपवास रखना चाहिए तथा इसके बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। रोगी को आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति भी कराना चाहिए जिसके फलस्वरूप टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

यदि टाइफाईड रोग का प्रभाव बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठण्डी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए। इसके बाद उसे गर्मपाद स्नान क्रिया करानी चाहिए।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को जिस समय बुखार तेज नहीं हो उस समय उसे कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे टाइफाईड रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

यदि टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को ठण्ड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल उढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से भी टाइफाईड रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से आराम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी हर 2-2 घंटे पर पिलाने से उसका बुखार जल्दी ठीक हो जाता है और टाइफाईड रोग भी जल्दी ही ठीक होने लगता है।

शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और टाइफाईड रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से उसके शरीर में फुर्ती पैदा होती है और उसका बुखार भी उतरने लगता है।

रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है टाइफाईड रोग ठीक होने लगता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को खुला हवादार कमरा रहने के लिए, हल्के आरामदायक वस्त्र पहनने के लिए तथा पर्याप्त आराम करना बहुत आवश्यक है।

जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद फलों के ताजे रस को कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए ऐसा करने से उसे दुबारा बुखार नहीं होता है और टाइफाईड रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन कराने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से टाइफाईड रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि उसे दूध पीने की इच्छा हो तो दूध में पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी को अपने चारों ओर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।

टाइफाईड रोग से पीड़ित रोगी का बुखार 3 दिन तक सामान्य स्थिति में रहे तो रोगी को दूध मिला हुआ अंडे का जूस बनाकर पिलाना चाहिए तथा डबलरोटी के छोटे-छोटे टुकड़े को खिलाना चाहिए और फिर रोगी को पूर्ण रूप से आराम करने के लिए कहना चाहिए। इस प्रकार से अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराने से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


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